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(4) आहार-ग्रहण कब करना (समय के आधार पर)
1) नवकारसी से आहार करना। 2) पोरिसी से आहार करना। 3) साड्ढपोरिसी से आहार करना। 4) पुरिमड्ड से आहार करना। 5) अवड्ढ से आहार करना। (5) आहार-त्याग कब करना (समय के आधार पर)
1) रात्रि में प्रथम प्रहर के बाद आहार का त्याग करना। 2) सूर्यास्त के पश्चात् अशन (अनाज आदि से निर्मित एवं भूख शान्त करने वाले) आहार का त्याग
करना। 3) पानी को छोड़कर सभी आहार का त्याग करना। 4) रात्रि में चौविहार का प्रत्याख्यान करना।
5) रात्रि में पाणाहार का प्रत्याख्यान करना। (6) आहार ग्रहण कब करना (परिस्थिति के आधार पर)
1) भूख लगने पर ही आहार करना। 2) उपर्युक्त के साथ-साथ दिन में नियत समय पर ही आहार करना। 3) उपर्युक्त के साथ-साथ बाहर से आने पर कुछ समय रुककर आहार करना। 4) उपर्युक्त के साथ-साथ शरीर में अजीर्ण न हो, तब आहार करना। 5) उपर्युक्त के साथ-साथ तनाव या अस्थिर मन की अवस्था से रहित होकर शान्त मन से आहार
करना। (7) आहार कहाँ करना 1) अनुचित सार्वजनिक स्थान पर आहार नहीं करना। 2) बिना छतवाले स्थान पर आहार नहीं करना। 3) घर में ही आहार करना। 4) भोजनकक्ष में बैठकर आहार करना।
5) भोजनकक्ष में भी जयणापूर्वक जीवरहित स्वच्छ स्थान पर बैठकर ही आहार करना। (8) आहार कितना करना
1) भूख से अधिक आहार नहीं करना। 2) भूख से कम आहार करना।
3) उपर्युक्त का विवेक रखते हुए वृत्ति-संक्षेप (आहार के प्रकारों का सीमाकरण) पूर्वक आहार 295
अध्याय 5 : शरीर-प्रबन्धन
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