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करना। 4) उपर्युक्त का विवेक रखते हुए रस (आसक्तिवर्धक आहार) का परित्याग करना।
5) अनशन (उपवास) करना। (9) आहार कैसे करना 1) जूते-चप्पल पहनकर, पलंग पर बैठकर, टी.वी. देखते-देखते, अन्धकारमय स्थान पर, अधिक
हँसते-हँसते एवं बोलते-बोलते आहार नहीं करना। 2) अन्य सदस्यों को भोजन कराकर भोजन करना। 3) न अधिक धीरे और न अधिक जल्दी, किन्तु शान्त चित्त से स्वच्छ आसन पर बैठकर भोजन
करना। 4) अति रसलोलुपता या आसक्ति बढ़े, इस प्रकार से भोजन नहीं करना। 5) भोजन करने के पश्चात् सोना न पड़े, किन्तु स्वाध्याय, ध्यान, चिन्तन आदि हो सके, इस
प्रकार आहार करना। (10) जल-प्रबन्धन पीने में प्रयोग हेतु
अन्य प्रयोग हेतु 1) छना हुआ शुद्ध जल पीना।
छने हुए पानी का प्रयोग करना। 2) वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित जीवरहित एवं छने हुए पानी का प्रयोग करना। ___ छना हुआ शुद्ध जल पीना। 3) जैनाचार में निर्दिष्ट जीवरहित (प्रासुक) जल | जैनाचार में निर्दिष्ट जीवरहित (प्रासुक) जल का पीना।
| प्रयोग करना। 4) उबला हुआ जल ठंडा करके पीना। उबले हुए पानी का प्रयोग करना। 5) दिन में एक बार भोजन करना और उसी | उबले हुए पानी का प्रयोग करना ।
समय पानी भी पीना (ठाम चौविहार करना)। (11) प्राणवायु-प्रबन्धन
1) पूर्ण प्राणवायु लेना। 2) पूर्ण एवं शुद्ध प्राणवायु लेना। 3) पूर्ण, शुद्ध तथा नियमित (धीरे-धीरे एवं लम्बी) प्राणवायु लेना। 4) शुद्ध प्राणवायु के साथ विविध प्रकार के प्राणायाम का अभ्यास करना।
5) पूर्ण , शुद्ध , नियमित एवं सहजतया प्राणवायु लेना। (12) श्रम-प्रबन्धन 1) व्यसन एवं नकारात्मक सोच से बचते हुए सुविधा/विलासिता की मर्यादा करना।
जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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