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3) प्रतीक्षा करना – कई बार लोग मिलने का समय देकर भी समय निकाल नहीं पाते हैं, इससे प्रतीक्षारत व्यक्ति का बहुत समय नष्ट हो जाता है।
इस प्रकार, जैनदर्शन की दृष्टि में, समय बर्बाद करने वाले चार प्रकार के कारकों से हर व्यक्ति प्रभावित होता रहता है, किन्तु जो व्यक्ति आत्मिक-शान्ति और आत्मिक-आनन्द की प्राप्ति के लिए अप्रमत्त या सजग रहता है, वह इन सब अनावश्यक कारकों से स्वयं को बचाता जाता है और अपने जीवन को 'धर्म' और 'अध्यात्म' की ओर मोड़ता जाता है। वह इस युग में भी भक्ति, स्वाध्याय, ध्यान आदि के लिए अपनी भूमिकानुसार उचित समय निकाल ही लेता है। . 4.6.8 सम्यक् नियन्त्रण या संयम की वृत्ति होना (Right Control)
समय-प्रबन्धन का अन्तिम, लेकिन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है - कार्य पर उचित नियन्त्रण हो, जिससे कम से कम समय में अधिकतम कार्य किया जा सके। जैसे गाड़ी में ब्रेक का महत्त्व है, वैसे ही जीवन में नियन्त्रण की आवश्यकता है। इस सिद्धान्त का सीधा सम्बन्ध जीवन के अनुभवों का उपयोग करने से है। प्रत्येक कार्य को करने में हमें चाहिए कि हम समय के सापेक्ष स्वयं का निरीक्षण
और परीक्षण करें। हम देखें कि कार्य को पूर्ण करने में समय का अपव्यय कहाँ-कहाँ हुआ है। हम पक्षपातरहित होकर स्वयं की कमजोरियों का विश्लेषण करें, उन्हें स्वीकार करें और उनमें सुधार करें। इसे हम निम्न उदाहरण से समझ सकते हैं -
कल्पना करें कि दिल्ली शहर में राहुल नाम का एक किशोर बारहवीं कक्षा में पढ़ता है। मध्यमवर्गीय परिवार में पला-बढ़ा राहुल सामान्य प्रतिभा का धनी है और प्रतिवर्ष औसतन 65-70 प्रतिशत अंक ही ला पाता है। इकलौता पुत्र होने से माता-पिता को उससे खूब उम्मीदें हैं, लेकिन उन्हें मालूम है कि राहुल की टी.वी. पर क्रिकेट मैच, फिल्म्स, गाने, सीरियल्स आदि देखने की आदतें हैं। इधर राहुल को महसूस ही नहीं होता कि टी.वी. देखने में उसका समय नष्ट होता है, बल्कि वह यह मानता है – “यह तो मनोरंजन के साधन हैं, जिनका उपयोग पूरी दुनिया करती है, फिर मैं क्यों न करूँ?"
आइए, हम इसके परिणाम का निरीक्षण, परीक्षण और विश्लेषण करें -
कल्पना करें कि राहुल के पास प्रतिदिन बारह कार्य-घण्टे (Working hours) हैं, जिनमें से वह औसतन एक घण्टा टी.वी. देखता है -
1 दिन में समय की बर्बादी = 1 घण्टा, 1 माह में समय की बर्बादी = 30 घण्टे ,
1 वर्ष में समय की बर्बादी = 360 घण्टे (लगभग) चूँकि एक दिन में बारह घण्टे ही कार्य के लिए हैं, अतः 12 घण्टे = 1 कार्य-दिन (Working day)
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जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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