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अध्याय 5 शरीर-प्रबन्धन (Body Management)
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5.1 शरीर का स्वरूप 5.2 शरीर का महत्त्व 5.3 शरीर सम्बन्धी अप्रबन्धन या प्रबन्धन के दुष्परिणाम
5.3.1 आहार सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.2 जल सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.3 प्राणवायु सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.4 श्रम-विश्राम सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.5 निद्रा सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.6 स्वच्छता सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.7 शृंगार (साज-सज्जा) सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.8 ब्रह्मचर्य सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.9 मनोदैहिक विसंगतियाँ
5.3.10 अन्यकारक सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.4 जैनआचारमीमांसा के आधार पर शरीर-प्रबन्धन
5.4.1 शरीर के प्रति सही दृष्टिकोण का विकास 5.4.2 शरीर-प्रबन्धन का उद्देश्य 5.4.3 प्रबन्धित जीवनशैली के मुख्य आयाम
(1) आहार-प्रबन्धन (2) जल-प्रबन्धन (3) प्राणवायु-प्रबन्धन (4) श्रम-विश्राम-प्रबन्धन (5) निद्रा-प्रबन्धन (6) स्वच्छता-प्रबन्धन (7) शृंगार (साज-सज्जा)-प्रबन्धन (8) ब्रह्मचर्य-प्रबन्धन (७) मनोदैहिक-प्रबन्धन
(10) अन्यकारक-प्रबन्धन 5.5 शरीर-प्रबन्धन का प्रायोगिक पक्ष 5.6 निष्कर्ष 5.7 स्वमूल्यांकन एवं प्रश्नसूची (Self Assessment : A questionnaire)
सन्दर्भसूची
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