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________________ अध्याय 5 शरीर-प्रबन्धन (Body Management) Page No. Chap. Cont. 227 242 246 246 249 251 253 254 255 255 256 257 258 259 259 5.1 शरीर का स्वरूप 5.2 शरीर का महत्त्व 5.3 शरीर सम्बन्धी अप्रबन्धन या प्रबन्धन के दुष्परिणाम 5.3.1 आहार सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.2 जल सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.3 प्राणवायु सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.4 श्रम-विश्राम सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.5 निद्रा सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.6 स्वच्छता सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.7 शृंगार (साज-सज्जा) सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.8 ब्रह्मचर्य सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.3.9 मनोदैहिक विसंगतियाँ 5.3.10 अन्यकारक सम्बन्धी विसंगतियाँ 5.4 जैनआचारमीमांसा के आधार पर शरीर-प्रबन्धन 5.4.1 शरीर के प्रति सही दृष्टिकोण का विकास 5.4.2 शरीर-प्रबन्धन का उद्देश्य 5.4.3 प्रबन्धित जीवनशैली के मुख्य आयाम (1) आहार-प्रबन्धन (2) जल-प्रबन्धन (3) प्राणवायु-प्रबन्धन (4) श्रम-विश्राम-प्रबन्धन (5) निद्रा-प्रबन्धन (6) स्वच्छता-प्रबन्धन (7) शृंगार (साज-सज्जा)-प्रबन्धन (8) ब्रह्मचर्य-प्रबन्धन (७) मनोदैहिक-प्रबन्धन (10) अन्यकारक-प्रबन्धन 5.5 शरीर-प्रबन्धन का प्रायोगिक पक्ष 5.6 निष्कर्ष 5.7 स्वमूल्यांकन एवं प्रश्नसूची (Self Assessment : A questionnaire) सन्दर्भसूची 260 261 262 280 283 285 287 289 290 291 292 293 294 299 300 301 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003975
Book TitleJain Achar Mimansa me Jivan Prabandhan ke Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManishsagar
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2013
Total Pages900
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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