________________
लेणकाले , सयणं सयणकाले । यदि कोई स्वाध्याय काल में प्रतिलेखन करे अथवा प्रतिलेखन काल में स्वाध्याय करे तो यह दोष है। यहाँ तक भी कह दिया है कि नियत समय पर स्वाध्याय नहीं करना और अनियत समय पर स्वाध्याय करना दोनों ही दोषपूर्ण हैं।100
ऐसा नहीं है कि समय-प्रबद्धता सिर्फ साधु वर्ग के लिए ही आवश्यक है। श्रावक (गृहस्थ) वर्ग के लिए भी इसका समान महत्त्व है। श्रावक वर्ग को चाहिए कि सुबह से लेकर रात्रि तक अपनी निर्धारित समय-सारणी का अनुकरण करे और अपने मूल लक्ष्य (मोक्ष पुरूषार्थ) के प्रति सजग रहे। (ङ) अवकाश के क्षणों का उपयोग करने की कला - यहाँ तक कि हमें यह कला भी विकसित करनी चाहिए कि हम अवकाश के क्षणों का भी यथासम्भव सर्वोत्तम सदुपयोग कर सकें। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं - ★ महात्मा गाँधी (1869-1948) – फुरसत के समय में ये सूत कातते थे। इन्होंने जेल में रहते
हुए गीता का गहन अध्ययन किया। ★ पं. जवाहरलाल नेहरु (1879-1964) - जेल में रहते हुए इन्होंने भारत : एक खोज'
(Discovery of India) की रचना की। ★ हेरियट बीचर स्टोव (1811-1896) – इन्होंने अपनी बेस्ट सेलिंग नॉवेल 'अंकल टाम्स केबिन' (1852) को घर-गृहस्थी की झंझटों के बीच ही लिखा था। भोजन की प्रतीक्षा करने में
जो समय बीतता था, उसी समय में उन्होंने फ्राउन की रचना 'इंग्लैण्ड' को पढ़ा था।101 ★ महान् सन्त मानतुंगाचार्य (लगभग 618 ई.) - भक्तामर' जैसी भक्तिरस से ओतप्रोत और
अमर कृति की रचना जेल की सलाखों में की। * जैन साधु-साध्वी - सामान्यतया अपने हाथ में माला रखते हैं। जैसे ही उन्हें फुरसत मिलती
है, वैसे ही माला के माध्यम से परमात्मा का आलम्बन लेकर जप-साधना में लग जाते हैं। * मंत्रीश्वर पेथड़शाह – इन्होंने प्रतिदिन पालकी में बैठकर राजमहल जाते हुए मार्ग में ही 'उपदेशमाला ग्रन्थ' कण्ठस्थ कर लिया था।102 फुरसत के समय का सदुपयोग करने के लिए ही डॉ. एन. होवे कहते हैं -
Leisure is the time for doing something useful. 103 जो लोग दुनिया में आगे बढ़े हैं, उन्होंने फुरसत का समय कभी व्यर्थ नहीं जाने दिया, अतः व्यक्ति को चाहिए कि फुरसत का समय किसी सार्थक चिन्तन अथवा उपयोगी काम में लगाए। महर्षि वेदव्यासजी ने लिखा है - 'यदि तुम्हें एक क्षण का भी अवकाश मिले, तो उसे सत्कर्म में लगाओ, क्योंकि कालचक्र क्रूर व मन उपद्रवी है। 104 पश्चिम में एक कहावत है - 'Empty mind is Devil's workshop' अर्थात् खाली दिमाग शैतान का घर।
209
अध्याय 4: समय-प्रबन्धन
27
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org