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बनाना चाहिए।' 47 अन्यत्र भी कहा है – अतीत का शोक और भविष्य की चिन्ता छोड़कर केवल वर्तमान में जीने वाले ही विचक्षण होते हैं।48 आशय यह है कि अतीत बीत चुका है और भविष्य अनागत एवं अज्ञात है, सिर्फ वर्तमान ही व्यक्ति के पास है। व्यक्ति की सफलता इसी बात पर निर्भर करती है कि वह वर्तमान क्षण का उपयोग किस प्रकार करता है। अधिकांश लोग अतीत की स्मृतियों
और भविष्य के सपनों में अपने समय को बिताते हैं। एक सामान्य आदमी लगभग 25% समय ही वर्तमान में जीता है,49 अतः जो वर्तमान में जीने की कला में दक्ष होकर वर्तमान समय का सर्वोत्तम सदुपयोग कर सके, वही सही समय-प्रबन्धक बन सकता है। हमेशा याद रखना चाहिए कि भले ही 'वर्तमान' एक समयमात्र है और अगले ही समय अतीत बन जाता है, फिर भी ‘वर्त्तमान' में वह विशिष्ट सामर्थ्य है, जिसके बल पर 'अतीत' की कमियों को सुधार कर सुनहरे भविष्य' की नींव तैयार की जा सकती है। अतः प्राप्त समय का सर्वोत्तम सम्भव सदुपयोग करना समय-प्रबन्धन है।
सार रूप में, समय–प्रबन्धन को निम्न तालिका के माध्यम से समझा जा सकता है - T Technology to save time and get more things done in less time. I Improve your efficiency-Personal & working. M Manage your life's habits that speed you up. E Eliminate your time-wasters & make every second count. M Meet deadlines and commitments. A Act as if you have only one life to live. N Never believe in procrastination. A Achieve balance between spiritual and practical life. G Go for 'priority' management. E Everything from effective planning. M Morning time is prime time for important work done with speed and accuracy. E Enhance your performance through delegation. N Never overlook the time for self management. T Time table is a must everyday.
इस प्रकार, समय–प्रबन्धन एक विज्ञान है, जो जीवन के बहुमूल्य क्षण के अपव्यय को रोककर उसके प्रत्येक क्षण का विधिपूर्वक सदुपयोग कराता है, जिससे मानव ध्येय की पूर्ति हो अर्थात् आत्मिक शान्ति और आनन्द की प्राप्ति हो।
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जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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