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सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास के षड्आयाम
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1) शारीरिक विकास
1) स्वस्थता
2) स्फूर्ति
3) सौन्दर्य इत्यादि
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2) हितकारी वाणी
) मौन-विवेक इत्यादि 3) बौद्धिक विकास 1) भाषायी ज्ञान, जैसे – हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, प्राकृत आदि
2) विश्व के ऐतिहासिक एवं आधुनिक तथ्यों का सामान्य ज्ञान (General Knowledge) 3) लौकिक शिक्षा - सी.ए., डॉक्टर, इंजीनियर आदि बनना 4) आध्यात्मिक शिक्षा - प्रथमानुयोग, गणितानुयोग, द्रव्यानुयोग, चरण-करणानुयोग का
सामान्यज्ञान 5) स्मरण-शक्ति का विकास (Memory Power) 6) ग्राह्यक्षमता का विकास (Grasping Power) 7) लौकिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा का समयानुसार संशोधन एवं संवर्द्धन (Revision &
Upgradation of Knowledge) Fruila 4) मानसिक विकास ) बुद्धिमत्ता गुणांक (I.Q.) का विकास
2) मानसिक एकाग्रता का विकास N E ETE3) चिन्तन-मनन-निर्णयन क्षमता का विकास
14) अकथित एवं अश्रुत विषयों को समझने की योग्यता का विकास 15) रचनात्मक एवं सृजनात्मक शक्तियों का विकास
16) बौद्धिक विकास की शिक्षाओं पर विशेषज्ञता की प्राप्ति T ET ) दूरदर्शिता
8) विश्लेषणात्मक एवं संश्लेषणात्मक शैली का विकास
9) मनोबल का विकास इत्यादि 5) भावात्मक विकास 1) भावनात्मक गुणांक (E.Q.) का विकास
2) व्यावहारिक जीवन जीने की कला का विकास 3) सामाजिक स्तर पर नैतिक मूल्यों का विकास 4) दुःखद संवेगों पर नियन्त्रण करने की शक्ति का विकास 5) सदैव प्रसन्नचित्त रहने का अभ्यास 6) विधेयात्मक मनोभावों, जैसे - निर्भीकता, धैर्य, सहिष्णुता आदि का विकास
7) निषेधात्मक मनोभावों, जैसे - ईर्ष्या, संदेह, लोभ, माया, अहं आदि का ह्रास इत्यादि 8) आध्यात्मिक विकास ) आध्यात्मिक गुणांक (S.Q.) का विकास
12) चारों अनुयोगों पर आधारित शिक्षाओं की भावात्मक अनुभूति का अभ्यास
3) आध्यात्मिक साधना में उन्नति 4) इच्छाओं का निरोध 5) साक्षीभाव में जीने का अभ्यास इत्यादि
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अध्याय 3 : शिक्षा प्रबन्धन
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