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की सामाजिक एवं भौतिक संस्कृति के प्रभाव से अपने भावात्मक एवं आध्यात्मिक कमियों का सही आभास न हो सके, अतः व्यक्ति को विशेष रूप से अपने जीवन-व्यवहार के नैतिक पक्षों का पर्यालोचन करना चाहिए। उसे विश्लेषण करना चाहिए कि वह परिस्थिति के प्राप्त होने पर विचलित होता है अथवा शान्त रहता है, सहनशील रहता है अथवा असहनशील हो जाता है इत्यादि।
____ आधुनिक मनोविज्ञान में व्यक्ति के भाव, व्यक्तित्व एवं परिणाम का सुन्दर विश्लेषण किया गया है। जीवन-प्रबन्धक अपने व्यक्तित्व-विश्लेषण के लिए इस तालिका का उपयोग कर सकता है।120
* व्यक्तित्व (आचार/व्यवहार) परिणाम (अ) विधेयात्मक (Positive) । विश्वास आशावादी
समादर
भाव
उत्साहा
अभय
HERS
SHARA
सहिष्णुता
तनावमुक्त
आन्तरिक शान्ति
श्रद्धा
सहृदय
स्वस्थता
अनक
MIBIEDIGREE वीरतापूर्ण
सामंजस्य
विकास
while
(ब) निषेधात्मक (Negative)
घृणा
दुर्बल
कुण्ठा
सन्देह
उद्दण्ड
लाचारी
माया
चिड़चिड़ा
दुःख
SABANANCE
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छिद्रान्वेषण
आलसी
रुग्णता
ANITARIAgenener
डावासील
आग्रह
धोखेबाज
थकावट
उक्त तालिका के आधार पर यदि भावात्मक एवं आध्यात्मिक कमियाँ ज्ञात होती हैं, तो इसे चिन्तनीय विषय मानना चाहिए। कारण, जैनाचार्यों के अनुसार, व्यक्ति के संवेग (भाव) दो प्रकार के होते हैं - अगृहीत (जो पूर्वजन्मों से आते हैं) तथा गृहीत (जो इसी जन्म में उपार्जित किए जाते हैं)। ये 173
अध्याय 3 : शिक्षा-प्रबन्धन
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