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है, उतनी ही विशेषज्ञता (Specialization) भी प्राप्त करते जाता है। यही विशेषज्ञता उसकी जीवन-सफलता का आधार बन जाती है।
यही प्रक्रिया जीवन-संघर्षों की समस्याओं का समाधान पाने के लिए भी आवश्यक है। वस्तुतः, आत्मिक-शान्ति कोई असम्भव कार्य नहीं है, अपितु जीवन में उचित सूत्रों के उचित प्रयोग का परिणाम है। उपर्युक्त विद्यार्थी के समान जीवन-प्रबन्धक भी जैनआचारशास्त्रों के आधार पर जीवन के संघर्षों (Problems) को हल करके आनन्ददायी समाधानों (Solutions) की प्राप्ति कर सकता है।
इन समाधानों के लिए कैसी प्रक्रिया अपनाई जाए, इसे निम्न रेखाचित्र के माध्यम से समझा जा सकता है।
Right method-Right resultProblem solved Right formula
No approach No Result Problem remains as it is
Wrong method
thod
Life Problem
Right method
Wrong result
Problem either remains as it is or sometimes become
severe
Wrong
formula
Wrong method
T
LNo approach—No Result/Problem remains as it is किसी भी सवाल को हल करने की प्रक्रिया में निम्नलिखित विकल्प (Options) हो सकते हैं - 1) न गलत सूत्र का प्रयोग करना और न सही सूत्र का। 2) गलत सूत्र का प्रयोग, गलत अथवा सही पद्धति से करना। 3) सही एवं विश्वसनीय सूत्र का प्रयोग, गलत पद्धति से करना। 4) सही एवं विश्वसनीय सूत्र का प्रयोग, सही पद्धति से करना।
समस्या का सम्यक् समाधान सिर्फ चौथे विकल्प से ही प्राप्त हो सकता है अर्थात् समाधान के लिए सही सूत्र (Derived Formula) एवं सही पद्धति (Right Method) – दोनों की आवश्यकता होती है। शेष तीनों विकल्पों से समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है, कभी-कभी तो इनसे नई समस्याओं की उत्पत्ति भी हो जाती है।
जीवन-प्रबन्धन के तत्त्व
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