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મંગલ જ્ઞાન દર્પણ ભાગ-૧
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बेठा है। प्रत्यक्ष ज्ञानी को उसकी अनंत पर्यायें इसी तरह झलक रही हैं। जैसे अल्पज्ञानी को वर्तमान में किसी पदार्थ की भूत और भावी बहुत सी पर्यायें झलक जाती है।
एक गाढेका थान हाथ में लेते हुए ही उसकी भूत और भावी पर्यायें झलक जाती हैं कि यह गाढा तागोंसे बना है, तागे रुईसे बने है, रुई वृक्षसे पेदा होती है, वृक्ष रुई के बीज से होता है ये तो भूत पर्याये हैं तथा इस गाढेकी मिरजई, धोती, टोपी बनाएंगे; तब इसको टूकडे टूकडे करेगें, सीएगें धोएंगे, रक्खेगें, पहनेंगे आदि गाढे की कम व अधिक अपने ज्ञानके क्षयोपशम के अनुसार भूत भावी अवस्थाएं एक बुद्धिमान को वर्तमान के समान मालूम हो जाती है, यह विचार पूर्वक झलकती हैं। वह केवलज्ञानमें स्वयं स्वभावसे झलकती है। हर एक कथन अपेक्षारुप है । त्रिकाल गोचर पर्यायें विद्यमान या सत् तथा उस समय से पूर्व या उत्तर समय की पर्यायें अविद्यमान या असत् कही जाती हैं। [ गाथा-३८, पृष्ठ-१५१ ]
[ जंघभावनी सिद्धिपत्र प्रतिभासथी ] [1] जब जीव की संसार अवस्था को देखा जाता है तब उस दृष्टिकी अशुद्ध या व्यवहार दृष्टि या नय कहते हैं। उस दृष्टि से देखते हुए यही दिखता है कि यह जीव अपने शुद्ध स्वभाव में नहीं है । यद्यपि यह स्फटिकमणि के समान स्वभाव से शुद्ध है तथापि कर्मबंध के कारण से इसका परिणमन स्फटिकमें लाल, काले, पीले डाक के सम्बन्धकी तरह नाना रंगका विचित्र झलकता है।
जब यह अशुभ या तीव्र कषाय के उदयरुप परिणमन करता है तब यह अशुभ परिणामवाला और जब शुभ या मंद कषाय के उदयरूप परिणमन करता है तब शुभ परिणामवाला स्वयं स्वभाव से अर्थात् अपनी उपादान शक्ति से हो जाता है। जैसे स्फटिक का निर्मल पाषाण लाल डाक से लाल रंगरुप या काले डाक से काले रंग रूप परिणमन करता है । वैसे यह परिणमनशील आत्मा तीव्र कषाय के निमित्त से अशुभ रुप तथा मंद कषायके निमित्तसे शुभरुप परिणमन कर जाता है। उस समय जैसे स्फटिकका निर्मल स्वभाव तिरोहित या ढंक जाता है वैसे आत्मा का शुद्ध स्वभाव तिरोहित हो जाता है। [ गाथा-४६, पृष्ठ- १८२ ]
[A] जैसे स्फटिक किसी वर्ण रुप होते हुए भी यह वर्णपना स्फटिक में लाल कृष्ण आदि डांक के निमित्तसे झलक रहा है स्फटिकका स्वभाव नहीं है, ऐसे ही क्रोध आदि भावपना क्रोधादिक कषाय निमित्त से उपयोग में झलक रहा है। [ गाथा-५२, पृष्ठ-२०५ ] [x] विशेषार्थ- ज्ञानको अर्थ का विकल्प कहते हैं जिसका प्रयोजन यह है कि ज्ञान अपने और परके आकार को झलकानेवाले दर्पण के समान स्वपर पदार्थों