________________
११६
प्रज्ञापनासूत्रे
परिणमनवाले भी हैं (पठाणपरिणया वि) त्रिकोण संस्थान परि वाले भी हैं (चरंसंटाणपरिणया वि) चौरस संस्थान परिण+ मनवाले भी हैं (आययसंठाणपरिणया चि) आयत संस्थान परिणामवाले भी हैं ।
(जे) जो (फासओ) स्पर्श से ( लहुयफासपरिणया) लघु स्पर्श - वाले हैं (ते) वे (वण्णओ) वर्ण से ( कालवण्णपरिणया वि) कृष्ण वर्णचाले भी हैं (नीलवण्णपरिणया वि) नील वर्णवाले भी हैं (लोहियaणपरिणया वि) लाल वर्णवाले भी हैं (हालिद्दवण्णपरिणया वि) पीले वर्णवाले भी हैं (सुकिल्लवण्णपरिणया वि) शुक्ल वर्णवाले भी हैं। ... (गंधओ) गंध से (सुभिगंधपरिणया वि) सुगंध वाले भी हैं (दुग्भिगंधपरिणया वि) दुर्गंधवाले भी हैं।
(रसओ) रस से (तित्तर सपरिणया वि) तिक्तरसवाले भी हैं (कंडुयरसपरिणया वि) कटुकरसवाले भी हैं ( कसायरसपरिणया वि) कषाय रसवाले भी हैं (अंबिलर सपरिणया वि) अम्ल रसवाले भी हैं ( महुररसपरिणया वि) मधुर रसवाले भी हैं ।
(फासओ) स्पर्श से (कक्खडफासररिणया वि) कर्कश स्पर्शवाले भी हैं (फासपरिणया वि) मृदु स्पर्शवाले भी हैं ( सीयफासपरि( तं संठाणपरिणया वि) त्रिशु सस्थान परिशुभवाणां पशु छे ( चउरंस संठाण परिणया वि) यरस संस्थान परिणाभवाणां यछे (आययसंठाणपरिणया वि આયત સ સ્થાન પરિણામવાળા પણ છે.
(जे) ूमे। (फासओ) स्पर्शथी ( लहुयफासपरिणया) सधु स्पर्शवाणां छे (ते) तेो। (वण्णओ) रंगथी ( कालवण्ण परिणया वि) राजा रंगना परिणाभवाणां छे (नीलवण्णपरिणया वि) नीटा २जना पशु छे (लोहियवण्णपरिणया वि) લાલ રંગના પણ હાય (परिणावि) पीजा रंगना परिणाभवाणा छे (सुक्किलवण परिणया वि) शुद्ध वर्गुवानां यागु छे.
(गंधओ) गधथी (सुभिगंधपरिणया वि) सुगंधवानां पशु छे (दुभिगंव परिणमा वि) हुर्गन्ध वाजा पशु छे.
(रसओ) रसथी ( तित्तरसपरिणया वि) तित रस वाणां यागु छे (कडुय रसपरिणया वि) ४३वा रस वाणा पशु छे ( कसायरसपरिणया वि) तुरा रसवाणां पछे (अबिलरसपरिणया वि) पाटा रस वाणां पशु छे (महुररसपरिणया वि) મધુર રસવાળાં પણ છે.
(फासओ) स्पर्शथी (कक्खडफासपरिणया वि) अश स्पर्शवाजा पशु (यासपरिणया वि) मृदु स्पर्श वाणां पशु छे ( सीयका सपरिणया वि) शीत