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प्रधापनासूत्र दिव्यानाम्-अपूर्वाणाम् त्रुटितानाम्-वीणावेणु मृदगादीनां वाद्यविशेषाणाम् शब्दैः कलकलध्वनिभिः संप्रणादितानि-सम्यक् श्रोतृजनमनोहारितया प्रकृष्टतया शब्दायितानि 'सव्वरयणामया' सर्वरत्नमयानि, सर्वात्मना-कात्स्न्र्येन, रत्नमयानि सकलरत्नमयानि इत्यर्थः, 'अच्छा' अच्छानि-स्फटिकादिवदतिरबच्छानि, 'सण्डा' श्लक्ष्णानि-स्निग्ध पुद्गलस्कन्धनिर्मितानि 'लण्हा' ममृणानि-कोमलानि, 'घट्टा' घृष्टानि पापाणादि शिलावत् तीक्ष्णशाणेन घृष्टानीव 'महा' मृष्टानि-पापाणवत् सुकुमारशाणया संशोधितानि ‘णीरया' नीरजांसि-स्वाभाविक रजोराहित्येन, 'निम्मला' निर्मलानि-आगन्तुकमलाभावात् 'निप्पंका' निप्पङ्कानि-कलकरहितानि, 'निकंकडच्छाया' निष्कङ्कटच्छायानि-निष्कङ्कटा-निष्कवचा उपघातरहिता इत्यर्थः, छाया-कान्ति]पां तानि निष्कङ्कटच्छायानि देदीप्यमानकान्ति युक्तानि 'सप्पभा' सप्रमाणि-स्वरूपेण प्रभावन्ति, 'सस्सिरीया' सश्रीकाणि श्रिया परमशोभया, युक्तानि-सश्रीकाणि 'समिरीझ्या समरीचिनि-बहिनिर्गतकिरणसमूहानि, 'सउज्जोया' सोद्योतानि, वहिः स्थितवस्तुसमुदायप्रकाशनहैं। वहां दिव्य वीणा, वेणु, मृदंग आदि वाद्यों की मनोहर ध्वनि श्रोताओं के मन को हरण करती रहती है और वे भवन उस ध्वनि से सदा गूंजते रहते हैं । असुरकुमारों के वे भवन पूर्ण रूप से रत्नमय होते हैं, स्फटिक आदि के समान अतीव स्वच्छ होते हैं, स्निग्ध पुद्गल स्कंधों से निर्मित्त और कोमल होते हैं । पापाण आदि की शिला के समान घिसे हुए और अत्यन्त बारीक छैनी से घिसी हई पाषाण प्रतिमा के समान चिकने होते हैं। वे नीरज अर्थात् स्वाभाविक रज से रहित, निर्मल अर्थात् आगन्तुक मल से रहित, निष्पंक अर्थात् कलंक से रहित तथा उपघात या आवरण से रहित छाया वाले होते हैं । स्वरूप से ही प्रभा युक्त होते हैं । परम शोभा से सम्पन्न होते हैं। उनमें से किरणों का समूह बाहर निकलता रहता है । वे उद्योत- હરીલે છે. અને તે ભવન આ વિનિથી સદા ગુંજ્યા કરે છે. અસુરકુમારના આ ભવન પૂરેપુરા રત્નમય છે. સ્ફટિક વિગેરેની જેમ અતીવ સ્વચ્છ હોય છે. સિનગ્ધ પુદ્ગલ સંઘથી નિર્મિત અને કેમલ હોય છે. પાષાણની શિલાની જેમ ઘસેલા અને અત્યન્ત બારિક છીણીથી ઘસેલી પાષાણુ પ્રતિમાઓના સરખા સુંવાળા હોય છે તેઓ નીરજ અર્થાત સ્વાભાવિક રજ રહિત, નિર્મળ અર્થાત આગન્તુક મળ વિનાના નિપંક કલંકરહિત તથા ઉપઘાત અથવા (આવરણ) રહિત છાયાવાળી હોય છે. સ્વરૂપથી જ પ્રભાવાળાં હોય છે પરમ શોભાથી સંપન્ન હોય છે, તેઓમાથી કિરણોને સમૂહ બહાર નિકળતા રહે છે, તેઓ