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प्रमेययोधिनी टीका हि. पद २ सू १९ नाग कुमारदेवानां स्थानानि ७४१ मारेन्द्रौ नागकुमारराजानी परिवसतः महाद्धिको शेष यथा औधि कानाम्, यावत् विहरतः, कुत्र खलु भदन्त ! दाक्षिणत्यानां नागकुनाराणाम् देवानाम् पर्याप्तापर्याप्तानाम् स्थानानि प्रज्ञप्तानि ? कुत्र खलु भदन्त ! दाक्षिणात्या नागकुमाराः
देवाः परिवसन्ति ? गौतम ! जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतत्य दक्षिणेन अस्याः रत्नप्रभायाः पृथिव्याः अशीतिसहस्रोत्तरयोजनशतसहस्रबाहल्यायाः उपरि एक योजनसहस्रम् अवगाह्य, अवश्चक यो ननसहस्रं वर्जयिखा मध्ये अष्टसप्ततिसह
(धरणभूयाणंदा) धरण और भूनानन्द (एल्थ गं) इनमें (दुवे) दो (नागकुमारिदा) नागकुमारों के इन्द्र 'नागकुमारराया) नागकुमारों के राजा (परिवति) निवास करते हैं (महिडिया) महान ऋद्विधारी (सेसं जहा ओहियाण) शेष वर्णन सामान्य भवनवासियों जैसा (जाव विहरंति) यावत विचरते हैं।
(कहिणं भंते ! दाहिणिल्लाणं नागकुमाराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठोणा पण्णता ?) हे अगवन् ! पर्याप्त और अपर्याप्त दक्षिण के नागकुमार देवों के स्थान कहां हैं ? (कहि ण संते ! दाहिणिल्ला नागकुमारा देवा परिवसति ?) हे भगवन् ! दक्षिण दिशा के नागकुमार देव कहां निवास करते हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (जंबुद्दीवे दीवे) (जंबद्धीप नामक द्वीप में (मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं) मेरु पर्वत से दक्षिण में (इमीसे रयणप्प माए पुढवीए असीउत्तर जोयणसयसहस्स चाहल्लाए) एक लाख अस्सी हजार योजन मोटी इस रत्नप्रभा पृथ्वी के (उवरिं) ऊपर के (एग जोयणसहस्सं) एक हजार योजन (ओगाहेव रेवु (जाव) यावत् (विहरति) पियरे छे.
__ (धरण भूयाणंदा) १२ गते भूतानन्द (एत्थणं) तेयाम (दुवे) मे (नागकुमरिंदा) नागभाना छन्द्र (नागकुमार राया) नागभाशना २०n (परिवसंति) निवास ४२ छे (महिड्ढिया) महान् द्विधारी (सेसं जहा ओहियाणं) शेप पाणुन सामान्य सवनवासीय स२९ (जाव विहर ति) यावत् वियरे छे.
(कहि णं भंते । दाहिणिल्लाणं नागकुमाराण देवाण पज्जत्तापज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता ?) 3 गवन् पर्याप्त गने अपर्यास मिथु हिशान नाभा२ हेवाना स्थान ४या ? (कहि णं भंते । दहिणिल्ला नागकुमारदेवा परिवमंति) 3 सापन् दक्षिण दिशाना नामा२ देव ४या (नास ४२ छे? (गोयमा ।) गौतम । (जम्बहीवे दीवे) दीप नाम दी५मा (मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं) भे३५तिथी दृक्षिामा (इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तर जोयणसयसहस्सवाहल्लाए) से am मेसी २ यात मोटी ॥ २त्नाला पृथ्वीना (उबरिं) ५२ना