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प्रक्षापनासूत्र सश्रीकाणि, मुरूपानि प्रासादीयानि-दर्शयानि, अभिरूपाणि प्रतिरूपाणि, अत्र खलु ज्योतिष्काणां देवानां पर्याप्तापर्याप्तानां स्थानानि प्रज्ञप्तानि, त्रिष्वपिय लोकस्य असंख्येयभागे, तत्र खल बहवो ज्योतिप्का देवाः परिवन्ति, तद्यथा-वृहस्पतयः, चन्द्राः, सूर्याः, शुक्राः, शनैश्चराः, राहयः, धूमकेतवः बुधाः, अङ्गारकाः, तप्ततपनीयकनकवर्णाः, ये च ग्रहाः ज्योतिप्के चारं चरंति, केतवश्च गतिरतिकाः अष्टातिलको तथा रत्नमय अधेचन्द्रों से चित्र-विचित्र (नाणामणिमयदामालंकिया) विविध मणिमय मालाओं से अलंकृत (अंतोवाहिं च सण्हा) अन्दर और बाहर चिकने (तवणिज्जरुइलवालुयपत्थडा) स्वर्ण की रुचिर वालुका के प्रस्तट वाले (सुहफासा) सुखद स्पर्श वाले (सस्सिरीया) श्री से सम्पन्न (सुरुवा) सुन्दर रूप वाले (पासाइया) प्रसन्नताजनक (दरिसणिज्जा) दर्शनीय (अभिरुवा) अतिरमणीय (पडिरूवा) अत्यन्त सुन्दर (एत्थ णं) यहां (जोइसियाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्तागं) पर्याप्त और अपर्याप्त ज्योतिष्क देवों के (ठाणा) स्थान (पण्णत्ता) कहे हैं (निसु वि) तीनों अपेक्षाओं से भी (लोगस्स असंखेन्नइभागे) लोक के असंख्यातवें भाग में (तत्थ णं) वहां (वहवे) बहु (जोइसिया देवा) ज्योतिष्क देव (परिवसंति) निवास करते है (तं जहा) वे इस प्रकार (यहस्सई) वृहस्पति (चंदा) चन्द्र (सूरा) सूर्य (सुक्का) शुक्र (सणिच्छरा) शनैश्चर (राहू) राहु (धूमकेऊ) धूमकेतु) (बुधा) बुध (अंगारगा) मंगल (तत्तनवणिजकणगवन्ना) तप्त तपनीय स्वर्ण के समान वर्ण वाले (जो य) और जो (गहा) ग्रह (जोइसम्मि) ज्योतिष्क क्षेत्र में (चारं चरंति) (णाणामणिमबदामालंकिया) विविध भागमय भाजामाथी असत (अंतो वहि च सण्हा) ४२थी मने मा२ ४ि (तवणिजरुइलवालुया पत्यडा) सोना नी ३थि२ वायु ना प्रस्त२वा (सुहफासा) सुभह स्पृशाणा (पासाइया) प्रसन्नता 4. (दरिसणिज्जा) शनाय (अभिख्या) मति २भणीय (पडिरूबा) अत्यन्त सुन्दर (एत्य णं) मडि (जोइसियाण देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं) पर्यास अने. २०५योस न्याति होना (ठाणा) स्थान (पण्णत्ता) ह्यां छ (तिमुवि) ऋणे अपेक्षामाथी पशु (लोगरस असंखेज्जइभागे) सेना अभ्यत मा सागमा (तत्थ णं) त्या (वहवे) घा! (जोइसिया देवा) ज्योतिष (परिखसंति) निवास ४२ छे (तं नहा) ते मा प्रकारे (वहस्सई) पति (चंदा) य- (सूग) सूर्य (सुका) शु (सणिच्चरा) शनैश्व२ (राहु) राई (धूमके3) धूम
तु (बुवा) भुष (अंगारगा) मन (तत्ततवणिज्जकणगवन्ना) तस तपनीय स्वाना समान वाणा (जे य) मने रे (गहा) ड (जोइसम्मि) ज्योति