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प्रॉपनासूत्र अनिन्द्राः, अप्रेष्याः, अपुरोहिताः, अहमिन्द्राः, नामते देवगणाः प्रज्ञप्ताः श्रमणायुष्मन् ! कुत्र खलु भदन्त ! मध्यमानां ग्रैवेयकाणास् देवानाम् पर्याप्तापर्याप्तानाम् स्थानानि प्रज्ञप्तानि ? कुत्र खलु भदन्त ! मध्यमग्रैवेयकाः देवाः परिवसन्ति ? गौतम ! अधस्तनौवेयकाणाम् उपरि सपक्षम् सप्रतिदिक, यावत् उत्पत्य, अत्र खलु मध्यमग्रैवेयकदेवानां त्रयो ग्रैवेयकाणाम् प्रस्तटाः प्रज्ञप्ताः, प्राचीन प्रती(सव्वे) वे सब (समिडिया) समान ऋद्धि वाले (सव्वे समज्जुइया) सब समान द्युति वाले (सव्वे समजसा) सब समान यश वाले (सव्वे समवला) सब समान बल वाले (सव्वे समाणुभावा) सब समान अनुभाव वाले (महासुक्खा) महानू मुख वाले (अणिंदा) इन्द्र रहित (अपेस्सा) प्रेष्य-दास रहित (अपुरोहिया) पुरोहित हीन (अहमिदा) अहमिन्द्र (नाम) अव्यय (ते देवगणा पण्णत्ता समणाउसो) आयुष्मन् श्रमणो ! वे देवगण कहे गए हैं। ___ (कहि णं संते ! मज्झिमगाणं गेविज्जगाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णत्ता ?) हे भगवन् पर्याप्त और अपर्याप्त मध्यम अवेयक देवों के स्थान कहाँ कहे हैं ? (कहि णं भंते ! मज्झिमगेविजगा देवा परिवसंति ?) हे भगवन् ! मध्यम ग्रैवेयक देव कहां निवास करते हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (हेहिमगेविज्जगाणं उप्पि) अधस्तन अवेयकों के ऊपर (सपक्खि सपडिदिसं) समान दिशा और समान विदिशा में (जाव) यावत् (उप्पइत्ता) जाकर (एत्थ णं) यहां (मज्झिमगेविज्जग देवाणं) मध्यम अवेयक देवों के (तओ गेविजगाणं) समान ऋद्धिपात (सव्वे समज्जुइया) मा समान धुतिया (सव्वे समजसा) मा समान यशवणi (सव्वे समबला) मा समान वा छे (सव्वे समाणुभावा) मा समान मनुभववाणi (महासुक्खा) महान् सुमार (अजिंदा) छन्द्र पान (अप्पेसा) प्रेष्य-हास २॥ (अपुरोहिया) पुडित विनाना (अहमिंदा नाम) मडभिन्द्र (नाम) ते (देघगणा पण्णत्ता समणाउसो) मायुष्मन् શ્રમણે આ દેવગણ કહેલા છે
(कहि णं भंते ! मज्झिमगाणं गैविजगाणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पण्णता ?) भगवन् ! पर्यात भने २५पर्याप्त मध्यम वय हेवाना स्थान ४यां Ji छ? (कहि णं भंते ! मज्झिमगेविज्जगो देवा परिवसंति ?) लावन् ! मध्यम अवय ४५ ४॥ निवास ४२ छ ? (गोयमा ) 3 गौतम (हेद्विमगेविविज्जगाणं उप्पि) मरतन अवेयाना 9५२ (सपक्विं सपडिदिसं) समानहा भने समान विदिशामा (जाव) यावत् (उप्पइत्ता) ४४२ (एत्थण) मा (मझिगेविजगदेवाणं) मध्यम अवेय४ हेवोन (तओ गेविज्जगाणं) अवेयाना