Book Title: Pragnapanasutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
प्रज्ञापनासूत्र सयसहस्लाई आयामविकखंभेणं एगा जोयणकोडी वायालीसं च सयसहस्साइं, तीसं च सहस्साई दोन्नि य अउणापन्ने जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ता, ईसिपभाराए णं पुढवीए बहुमज्झदेसमाए अटू जोयणिए खेले अजोयणाई बाहल्लेणं पण्णते, तओ अणंतरं च णं मायाए सायाए पएसपरिहाणीए परिहायमाणी परिहायमाणी सव्वेसु चरमंतेसु मच्छियपत्ताओ तगुययरी अंगुलस्त असंखेज्जइभागं वाहल्लेणं, पण्णत्ता, ईसीपभाराए णं पुढवीए दुवालस नामधिज्जा पण्णता, तं जहा-ईसिइ वा, ईलिपसाराइ वा, तणूइ वा, तणुतणूइ वा, सिद्धित्ति वा, सिद्धालए वा, मुत्तित्ति वा, मुत्तालएइ वा, लोयग्गेत्ति वा, लोयग्गथूभियत्ति वा, लोयग्गपडिबुझणाइ वा, सम्वपाणभूधजीव सत्त सुहावहाइ वा, इंसिप्पभारा णं पुढवी सेया संखदलविसलसोस्थिय मुणालदगरय. तुसार गोक्खीरहारवण्णा, उत्ताणयछत्तसंठाणसंठिया सव्वज्जुणसुवष्णमई अच्छा, सण्हा, लण्हा, घट्टा, मट्ठा, नीरया, निम्मला, निप्पंका निश्कंकडच्छाया सप्पमा, सस्लिरिया, सउ. ज्जोया, पालाईया, दरिसणिज्जा, अभिरूवा, पडिरूवा, ईसि. पन्भाराए णं पुढवीए सीयाए जोयणस्मि लोगतो तस्स णं जोयणस्स जे से उवरिल्ले गाउए, तस्ल णं गाउयस्त जे से उरिल्ले छठभागे एत्थ णं सिद्धा भगवंतो साइया अपज्जवसिया अणेग जाइमरणजोणिसंसारकलंकलीभाव पुणब्भवगम्भवासवसही पवंच समइकता सासयमणागयद्धं कालं चिति, तत्थ वि य ते अवेया अवेयणा निम्नमा असंगा य संसारविष्पमुक्का पएस निम्वत्तसंठागा, कहिं पडिहया सिद्धा; कहिं सिद्धा पइटिया, कहिं बोदि चइत्ताणं, कत्थगंतूण सि.

Page Navigation
1 ... 938 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950 951 952 953 954 955 956 957 958 959 960 961 962 963 964 965 966 967 968 969 970 971 972 973 974 975