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प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू.१९ समेदवनस्पतिकायिक निरूपणम्
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दाली १९ च १८ । अप्फेया २० अति मुक्तक २१ - नाग २२ लते कृष्णसूर वल्ली २३ च | संघट्टा २४ मानसाऽपि २५ च जासुवना २६ कुविन्दवल्ली २७ च । १९ । मृद्वीका २८ अम्वावल्ली २९ कृष्णक्षीराली ३० जयन्ती ३१ गोपाली ३२ | पाणी ३३ मासावल्ली ३४ गुञ्जीवल्ली ३५ च विच्छाणी ३६ || २० | ससिवी ३७ द्विगोत्रस्पृष्टा ३८ गिरिकर्णिका ३९ मालुका ४० च अञ्जनकी ४१ । दधिस्फोटकी ४२ काकली ४३ मोकली ४४ च तथा अर्कवोन्दी ४५ । २१ । या धान्या स्तथाप्रकारः । ता एता वल्ल्यः ५ ।
(अफ्फेया) अफ्फेया, (अमुत्तगलता) अतिमुक्तकलता, (णागलया) नागलता, ( कण्हरवल्ली य) और कृष्णसूरवल्ली, (संघ) संघट्टा, (सुमनसा विय) और सुमनसा भी (जासुवण) जासुवन (कुविंद - वल्ली ) और कुविन्द वल्ली, (मुद्दीय) मुडीका, (अंबावल्ली) अम्बावल्ली, (किन्हीराली ) कृष्णक्षीराली, (जयंति ) जयन्ती, (गोवाली) गोपाली, (पाणी) पाणी, ( मासावल्ली) मासावल्ली, (गुंजीवल्ली) श्रीवल्ली, (विच्छाणी) विच्छाणी, देशविशेष में प्रसिद्ध इन वल्लियों को भी स्वयं समझ लेना चाहिए ।
(ससिवि) ससिबी (दुगोसफुसिया) द्विगोत्र स्पृष्टा (गिरिकण्णइ ) गिरिकर्णिका, (मालया थ) और मालुका (अंजणई) अंजनकी, (दहिफोeos ) दधिस्फोटक, (कागल) काकली (मोगली य) और मोकली (तह) तथा (अक्कबोंदीया) और अर्कबन्दी (जे यावन्ना तहष्पगारा) इसी प्रकार की अन्य भी जो हैं ( से तं वल्लीओ) यह वल्लियों की प्ररूपणा हुई ||२४||
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(अफ्फेया) मइया (अइमुत्तग-लया) अतिभुक्तवता ( णागलता) नागसता (कण्हसूरखल्लीय) ने कृष्णसूरवस्ती (संघट्ट) संघट्टा (सुमणसाविय) अने सुभनस पशु (जासुवण) लसुवन (कुविंद वल्लीय) भने सुविन्द वसी.
( मुहिय) भुद्धि ( अंवावल्ली ) ममा वल्ली ( किण्ह छीराली ) कृष्णु क्षीरासी (जयंती) नयन्ती (गोवाली) गोपाली (पाणी) पाणी ( मासावल्ली ) भासा वसी (गुजीवल्ली) गुं वसी (विच्छाणी) विराणी देश विशेषमां प्रसिद्ध भा વલ્લીઓને પણ જોતેજ સમજી લેવી ોઇએ.
(ससिवी) ससिपी (दुगोत्तफुसिया ) द्विगोभस्पृष्टा (गिरिकण्णइ ) गिरि अर्श (मालुयाय) भने भाडा (अंजणई) सनडी (दहिफोल्लइ ) दधिस्टडी (कागलि ) | श्री (मोगली य) भने भोली ( तह) तथा ( अनो दीया) भने बोन्ही (जे यावन्ने तह पगारा) सेवी जतनी मी पण ? होय (से तं वल्लीओ) ते तभाभ वसीवाय लति छे, मा वसीमोनी अ३पणा थ