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प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू.१९ सयेदवनस्पतिकायनिरूपणम् -हियते, ‘से वाले'-शैवालः प्रसिद्ध एव, सोऽपि जलोद्भयाद् जलरुहपदेन व्यवह्रियते, 'कलंबुया'-कलम्बुका:-पानीयोभा स्तृणवस्तुविशेषरूपाः जलरुहपदेन व्यपदिश्यन्ते, 'हढे' हठः-तृणविशेपो जलरुहपदेन व्यपदिश्यते, एवमेव कसेरुया' कशेरुका:-'केशौ' इति भाषा प्रसिद्धाः कन्दविशेपाः जलरुहपदेन व्यपदिश्यन्ते, 'कच्छभाणी' कच्छभाण्यो जलोद्भवाः जलरुहपदेन व्यपदिश्यन्ते, एवमेव'उप्पले' उत्पलम्, 'पउमे' पद्मम् 'कुमुदे'-कुसुदम्, 'णलिणे' नलिनम्, 'सुभए' सुभगम्, 'सुगंधिए' सौगन्धिकम् 'पोंडरीयए'-पुण्डरीकस्-'महापुंडरीए' महापुण्डरीकम्, 'सयपत्ते' शतपत्रम् 'सहस्तपत्ते' सहस्रपत्रम् 'कल्हारे' कल्हारम 'कोकणदे' कोकनदम्, 'अरविंदे' अरविन्दम्, 'तामरसे' तामरसम्, 'भिसे' भिसम् 'भिसमुणाले भिसमृणालम 'पोक्खले' पुष्करम्, 'पोक्खलस्थिभूए'-पुष्करास्तिभुतम्, एतानि जलोद्भवत्वात् जलरुहपदेन व्यपदिश्यन्ते, तानि च प्रायः प्रसिनामक वनस्पति जलरह है अर्थात् जल में उत्पन्न होती है। अवक वनस्पति जलरुह है अर्थात् जल में उत्पन्न होती है और तृण रूप होती है। पनकभी जल में उत्पन्न होती है, अतः जलरुह कहलाती है सेवाल, जिसे संवार कहते हैं, प्रसिद्ध है जल में उत्पन्न होने से वह जलरुह है। कलंवुया वा कलम्बुका एक प्रकार की तृण वस्तु है जो पानी में उत्पन्न होती है । हठ भी एक प्रकार का जल में उत्पन्न होने वाला घास है। कशेरुका को बोलचाल की भाषा में केशोर कहते हैं यह एक प्रकार का कन्द है और पानी में पैदा होता है । कच्छभाणी भी जलज वनस्पति है। इसी प्रकार उत्पल, पद्म, कुमुद, नलिन, सुभग, सौगन्धिक, पुण्डरीक, महपुण्डरीक, शतपत्र, सहस्रपत्र, कल्हार, कोकनद, अरविन्द और तामरस, ये सब कमल की अलग-अलग जातियां हैं और इन सब की उत्पत्ति भी जल में होती है। भिस 'भिसमृणाल, पुष्कर, पुष्करास्तिभुक, ये भी जलोत्पन्न होने से जलહોય છે. પનક પણ પાણીમાં જન્મે છે તેથી જલરૂહ કહેવાય છે.
શિવાલ (જે સેવાળ છે) તે તે જાણતેજ છે. પાણીમાં ઉગે છે તેથી તે પણ (जलाल) छ. समुया २०१२ ४१ मु मे ततनी तृण परतु छ.२ ५५मा परे છે, હઠ પણ પાણીમાં ઉત્પન્ન થતુ એક જાતનું ઘાસ છે. કશોરૂકને બેલાતી ભાષામા કેશર કહે છે.આ એક જાતનો કેન્દ્ર છે અને પાણીમાં પેદા થાય છે. કચ્છ ભાણી પણ જલરૂહ વનસ્પતિ છે. એ જ રીતે ઉત્પલ, પ, કુમુદ, નલિન, સુભગ, सौगन्धि पु२ि४, मा ७६२४, शतपत्र, ससपत्र, ४८७२, नअने અરવિંદ તામરસ, આ બધી કમળની જુદી જુદી જાતિ છે. અને આ બધાની ઉત્પત્તિ પણ પાણીમાં થાય છે. મિસ, મિસમૃણાલ, પુષ્કર, પુષ્કરાતિમુક્ત આ પણ