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प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू.३२ समेदरथलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिका ३७७ तथा प्रकाराः, ते एते एकखुराः ।१। अथ के ते' द्विखुराः, द्विखुरा अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-उष्ट्राः, गोणाः, गवयाः, रोज्झाः, पशुकाः, महिषाः, मृगाः, शम्बराः, वराहाः, अजाः, एरक-रुरु-शर भ-चमर-कुरङ्ग गोकर्णादिकाः, ये चान्ये तथाप्रकाराः, ते एते द्विखुराः २। अथ के ते गण्डीपदाः? गण्डीपदा अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-हस्तिनः, हस्तिपूतनकाः, मत्कुणहस्तिनः, खगिनः, गण्डाः, ये चान्ये तथा प्रकाराः, ते एते गण्डीपदाः ३ । अथ के ते सनखपदाः ? सनखपदा अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-सिंहाः, व्याघ्राः, द्वीपिकाः,
(से किंतं दुखुरा!) दो खुर वाले कितने प्रकार के हैं ? (अणेगविहा) अनेक प्रकार के (पण्णत्ता) कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (उट्टा) ऊंट (गोणा) गाय (गवग्रा) नील गाय (रोज्झा) रोज (एसुथा) पशुक (महिला) महिष-भैंस (मिया) मृग (संबरा) सांभर (वराहा) वराह-सूअर (अया) अज-बकरा (एलग-रुरु-सरम-चमर-कुरंग- गोकन्नमादि) एडग, रुरु, शरम, चमर, कुरंग गोकर्ण आदि (जे यावन्ने तहप्पगारा) इसी प्रकार के अन्य भी (से तं दुखुरा) यह दो खुर वालों की प्ररूपणा हुई।
(से किं तं गंडीपया ?) गंडीपद कितने प्रकार के हैं ? (अणेगविहा पण्णसा) अनेक प्रकार के कहे गए हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (हत्थी) हाथी (हस्थीपूयणया) हस्तिपूतनक (संकुणहत्थी) मत्कुण हाथी (खग्गा) खड्गी (गंडा) गंडा (जे यावन्ने तहप्पगारा इसी प्रकार के अन्य भी (से तं गंडीपया) यह गंडीपद जीवों की प्ररूपणा हुई। गारा) भने २ मा ४२॥ छ (से त्तं एगखुरा) २. मेरी पाया ની પ્રરૂપણા થઈ.
(से कि त दुखुरा ?) मे ३Nim मा प्रारना छ ? (दुखुरा) मे रीवi (अणेगविहा) मने प्रारना (पण्णत्ता) ४ii छ (तं जहा) तेयो २॥ ५४२ना (उट्टा) Ba (गोणा) ॥य (गवया) नीमा आय (रोज्झो) । (पसुया) पशु (महिसा) महिप-(मिया) मृग (संबरा) साम२ (वराह) राहु-सुम२ (अया) -५४री (अलग रुरु, सरभ, चमर कुरंगा, गोकन्नमादि) से31, ३३ स२१, यभ२, १२, ४१, विगेरे (जे यावन्ने तहप्पगारा) २॥ी तना मीन ५२ हाय (से तं दुखुरा) मा मे भरीवापानी प्र३५॥ २७.
(से कि तं गंडीपया ?) 130 ५६ ८४२॥ छ ? (गंडीपया) 0 3048 (अणेगविहा पण्णत्ता) मने प्रारना डेमा छे (त जहा) तामा प्रशारे छे (हत्थी) हाथी (हत्थीपूयणया) उस्ता पूतन (मंकुणहत्यी) म डाथी (खग्गा) 430 (गंडा) . (जे यावन्ने तहप्पगारा) तेपी नतना ilan प हाय (से तं गडीपया) २ ५४ वानी प्र३५॥ २४
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