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प्रमेयवोधिनी टीका प्र. पद १ सू.३६ सभेदमनुष्यस्वरूपनिरूपणम् ४२५ एकोरुकाः १, आभासिकाः २, वैपाणिकाः ३, नाङ्गोलिकाः ४, हयकर्णाः ५, गजकर्णाः ६, गोकर्णाः ७, शष्कुलिकर्णाः ८, आदर्शमुखाः ९, मेण्डमुखाः १०, अयोमुखाः ११ गोमुखाः १२ अश्वमुखाः १३ हस्तिमुखाः १४ सिंहमुखाः १५ व्याघ्रमुखाः १६ अश्वकर्णाः १७ हरिकर्णाः १८ अकर्णाः १९ कर्णप्रावरणाः २० उल्कामुखाः २१ मेघमुखाः २२ विद्युन्मुखाः २३ विद्युदन्ताः २४ गजदन्ताः २५ लष्टदन्ताः २६ गूढदन्ताः २७ शुद्धदन्ताः २८ । ते एते अन्तरद्वीपकाः। हैं, जैसे (एगोरुया) एकोरुक (आहासिया) आभासिक (वेसाणिया) वैषाणिक (णंगोलिया) लांगूलिक-नांगोलिक (यकण्णा) हयकर्ण (गयकण्णा) गजकर्ण (गोकण्णा) गोकर्ण (सक्कुलिकण्णा) शकुलिकर्ण (आयसमुहा) आदर्शमुख (मेंढमुहा) भेण्ड मुख (अयोमुहा) अयोमुख (गोमुहा) गोमुख (आसमुहा) अश्वमुग्व (हत्थिमुहा) हस्तिमुख (सीहमुहा) सिंहमख (बग्घमुहा) व्याघ्रमुख (आसकरणा) अश्वकर्ण (हरिकण्णा) हरिकर्ण (अकरणा) अकणे (कण्गपाउरणा) कर्णप्रावरण (उक्कामुहा) उल्कामुख (मेहमुहा) मेघमुख (विज्जुमुहा) विद्युत्-मुख (विज्जुदंता) विद्युदन्त (घणदंता) घनदन्त (लट्ठदंता) लप्टदन्त (गूढदंता) गूढदन्त (सुद्धदंता) शुद्धदन्त (से तं अंतरदीवगा) यह अन्तर्वीपजों की की प्ररूपणा हुई। _ (से किं तं अकम्मभूमगा ?) अकर्मभूमिज मनुष्य कितने प्रकार के होते हैं ? (तीसविहा पण्णत्ता) तीस प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (पंचहिं हेमवएहिं) पांच हैमवत क्षेत्रों में (पंचहिं हिरणज्या गो (आहासिया) सामासि४ (वेसाणिया) Aug (गांगोलिया) aaples (हयण्कणा) उय (गयकण्णा) २४४ (गोकण्णा) ४ (सक्कुलि कण्णा) शसि (आरंसमुहा) Pाश भुज (मेढमुहा) भेढशुम (अयोमुहा) मयोभुत (गोमुहा) You (आसमुह!) PAY (हत्थिमुहा) यीyu (सीह मुहा) सिंY (वग्पमुहा) पावभुम (आसकण्णा) 244 (हरिकण्णा) ९२४९ (अकण्णा) २४ (कण्ण पाउरणा) ४ प्राव२५ (उक्कामुहा) 31८४Y (मेहमुहा) भेधभुम (पिज्जुमुहा) विधुत-भुप (विज्जुदंता) विधुत (धणदंता) धन त (लट्रदंता) सत (गूढता) दन्त (सुद्धदन्ता) शुद्धत (से त अंतरदीवगा) આ અતર કીપજ ની પ્રરૂપણા થઈ.
(से किं त अकम्मभूमगा ?) २ मृभिन मनुष्य 32सा २ना साय छ ? (अकम्मभूमगा) मम भूमिका (तीसविहा पण्णत्ता) तीस प्रान॥
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