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प्रतापनासूत्रे प्रज्ञप्ताः ? 'कुलारिया छबिहा पणत्ता'-कुयाः पइविधाः प्रनताः, 'तं जहा''उग्गा-उग्राः १, 'भोगा'--भोगाः२, 'राइना'-राजन्याः३, इक्खागा' ईवाकवः४, 'णाया'-ज्ञाताः ५, 'कोरव्या-कौरव्याः६, प्रकृतमुपसंहरनाह-'से तं कुलारिया'-ते एते-पूर्वोक्ताः पट कुठार्याः प्रज्ञप्ताः अथ कार्यान् प्ररूपयितुमाह-'से कि तं कम्मारिया ?'-भय के ते-कतिविधा इत्यर्थः, कायाः प्रज्ञप्ता ? भगवानाह-'कम्मारिया अणेगविहा पग्णत्ता' कार्याः अनेकविधाः-नानाप्रकारकाः, प्रज्ञप्ताः, 'तं जहा'-तद्यथा-'दोसिया'-दोपिकाः, 'सुत्तिया'सौत्रिकाः, 'कप्पासिया'-कासिकाः, 'मुत्तवेयालिया'-सूत्रवैतालिकाः, भंड वेतालिया'-भाण्डवैतालिकाः, 'कोलालिया'-कौलालिकाः, 'नरवाहणिया'नरवाहनिकाः, 'जे यावन्ने तहप्पगारा'-येऽपि चान्ये तथाप्रकाराः-एवं विधाः सन्ति तेऽपि सर्वे कर्मार्या ज्ञातव्याः, प्रकृतमुपसंहरन्नाह-'से तं कम्मारिया'-ते एते-पूर्वी काः कार्याः प्रजप्ताः अथ, शिल्पायर्यान् प्ररूपमिनुमाह -'से कि तं सिप्पारिया ?'-अथ के ते-कतिविधा इत्यर्थः, शिल्पार्याः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह-'सिप्पारिया अणेगविहा पण्णत्ता'-शिल्पार्या अनेकविधाः नानाप्रकारकाः प्रज्ञप्ताः, 'तं जहा'-तद्यथा-तुण्णागा'-तुन्नाका:-सूच्या जीविनः 'तंतुवाया' कुल की अपेक्षा आय कितने प्रकार के होते हैं ? भगवान ने कहाकुलायें छह प्रकार के हैं, जो इस तरह हैं-(१) उग्र (२) योग (३) राजन्य (४) इक्ष्वाकु (५) ज्ञात और (६) कौरव्य । तात्पर्य यह है कि इन कुलों में जन्म लेने वाले कुलाय कहलाते हैं। यह कुलार्य की प्ररूपणा हुई। ____अब कार्य की प्ररूपणा करते हैं। कार्य कितने प्रकार के हैं ? भगवान ने उत्तर दिया-कर्मार्य अनेक प्रकार के कहे गए हैं । वे इस तरह हैं-दोषिक, सौत्रिक, कार्पासिक, सूत्रवैतालिक, माण्डवैतालिक, कौलालिक और नरवाहनिक । इनके अतिरिक्त इसी प्रकार के जो अन्य हों उन्हें भी कार्य समझना चाहिए । यह कार्य की प्ररूपणा हुई।
શ્રી ભગવાને કહ્યું–કુલાય છે પ્રકારના છે. જે આ રીતે છે–(૧) ઉગ્ર (२) र (3) २००८न्य (४) या (५) ज्ञात मन (6) औ२०य छे.
તાત્પર્ય એ છે કે આ કુળમાં જન્મ લેવાવાળા કુલા કહેવાય છે. આ કુલાર્યોની પ્રરૂપણ થઇ.
હવે કર્માની પ્રરૂપણા કરે છે, કર્માયે કેટલા પ્રકારના છે?
શ્રી ભગવાને ઉત્તર આપ્ય-કર્માય અનેક પ્રકારના કહેલા છે. તેઓ આ शते थे-होप, सौ४ि. सि४, सूत्रतालि, लाएऽवैतासि४. हौसालिs, અને નરવાહનિક. તદુપરાન્ત આવા પ્રકારના જે બીજા હોય તેઓને પણ કર્યાય સમજવા જોઈએ. આ કર્માર્યની પ્રરૂપણ થઈ