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प्रज्ञापनास्त्रे ते समासतो द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-समूच्छिमाञ्च गर्मव्युत्क्रान्तिकाश्च । तत्र खलु ये ते संमूर्छिमास्ते सर्वे नपुंसकाः । तत्र खलु ये ते गर्भव्युत्क्रान्तिकास्ते खलु विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-खियः, पुरुषाः नपुंसकाः । एतेषामेवमादिकानां खचरपञ्चन्द्रियतिथग्योनिकानां पर्याप्तापर्याप्तानां द्वादशनातिकुलकोटियोनिप्रमुखशतसहस्राणि भवन्तीत्याख्यातम् । समुद्रों में होते हैं (से त्तं विययपरवी) यह वितत पक्षी की प्ररूपणा हुई। __(ते समासओ दुविहा पत्ता ) खेचर पंचेन्द्रिय तिथंच संक्षेप से दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (संच्छिमा य गम्भवकतिया य) संमूर्छिम और गर्भज (तत्य णं जे ते संमुच्छिमा) उनमें जो संमृर्छिम हैं (ते सव्वे नपुंसगा) वे सब नपुंसक होते हैं (तत्थ णं जे ते गम्भवतिया) उनमें जो गर्भज हैं (ते णं तिविहा पण्णत्ता) वे तीन प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (इत्थी पुरिसा नपुंसगा य) स्त्री, पुरुष और नपुंसक (एसि णं एच माझ्याणं ग्वहयर पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं) इत्यादि इन खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यचों की (पजत्तापजत्ताणं) पर्याप्त और अपर्याप्त की (वारसजाइ कुलकोडिजोणियप्पमुहसयसहस्साई भवतीति मक्खाय) बारह लाख जातिकुल कोटि योनिप्रवह होते हैं, ऐसा कहा है।
(सत्तडजाइकुलकोडिलकावनब अद्भतेरसा च) हीन्द्रियों की सांत छ (से तं विययपाखो) मा पितत पक्षीनी ३५४ ५४
(ते समासओ दुविहा पग्णत्ता) २२ ५२न्द्रिय तिय २५ सपा में माना राय छ (त जहा) तेग मा ४२२ (संमुच्छिमा य गम्भवक्कंति या य) स भूमि गाने म
(तत्य णं जे ते संमुच्छिमा) तेसोमारे स भूछिम छ (ते सव्वे नपुंसगा) તેઓ બધા નપુસક હોય છે
(तत्यणं जे ते गम्भवतिया) तसभा २ छ (ते णं तिविहा) तेगा प्रभु प्रा२ना ४ह्या छ (त जहा) ते छे (इत्थी पुरिसा, नपुंसगा य) स्त्री, ५३५, भने नपुस ।
(एएसि ण एवमाइयाण खयरपचिदियतिरिक्खजोणियाण) - मेय२ ५येन्द्रिय विगेरे तिय यानी (पज्जत्ता पज्जत्ताण) पर्यात भने अपर्याप्तनी (वारस जाइ कुलकोडि जोणिप्पमुहसयसहस्साई भवतीति मक्खाय) मा२ onld કુલ કોટિ નિ પ્રવહ હોય છે, એવું કહ્યું છે.
(सत्तट्ट जाइ कुलकोडि लक्ख नव अद्वतेरसाइ च) बान्द्रयानी and aur