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प्रज्ञापनासूत्रे ऋक्षाः, तरक्षाः, पाराशराः, शृगालाः, विडालाः, श्वानः, कोलश्वानः, (ग्रन्थः . ५००) कोकन्तिकाः, शशकाः, चित्रकाः, चिल्लकाः, ये चान्ये तथा-प्रकाराः,
ते एते सनखपदाः ४ । ते समासतो द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-संमूच्छिमात्र, गर्भव्युत्क्रान्तिकाश्च । तत्र खलु ये ते संमूच्छिमास्ते सर्वे नपुंसकाः । तत्र खलु ये ते गर्भव्युत्क्रान्तिकास्ते त्रिविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-स्त्रियः १, पुरुषाः २, नपुंसकाः । एतेषां खलु एवमादिकानां स्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पर्याप्तापर्याप्तानां दशजाति कुलकोटियोनि प्रमुखशतसहस्राणि भवन्तीत्याख्यातम् । ते एते चतुष्पदरथलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः ॥सू०३२॥
(से किं तं सणप्पया ?) सनखपद कितने प्रकार के हैं ? (अणेगविहा पणत्ता) अनेक प्रकार के कहे हैं (त जहा) चे इस प्रकार है (सीहा) सिंह (ग्या) व्याघ्र (दीविया) दीपिक (अच्छा)रीछ (तरच्छा) तरक्ष (पररसरा) पाराशर (सियाला) सियार (विडाला) विडाल (सुणगा) श्वान (कोलसुणगा) कोलवान (कोकंतिया) लोमडी (ससगा) शशक (चित्तगा) चित्ता (चिल्लगा) चिल्लक (जे यावन्ने तहप्पगारा) अन्य भी जो इसी प्रकार के हैं (से तं सणफया) यह सनखपदों की प्ररूपणा समाप्त हुई।
(ते समासओ दुविहा पण्णत्ता) ने संक्षेप से दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (संमुच्छिमा य गम्भवचकंक्तिया य) संमृछिम
और गर्भज (तत्थ णं जे ते संमुच्छिमा) उनमें जो संमृर्छिम हैं (ते सव्वे नपुसगा) वे सब नपुंसक हैं (तत्थ गंजे ते गम्भवतिया) उनमें जो गर्भज हैं (ते तिविहा पणत्ता) वे तीन प्रकार के कहे हैं (तंजहा) वह इस प्रकार (इत्थी पुरिसा नपुंसगा) स्त्री, पुरुष और नपुंसक (एएसि
(से कि तं सणप्पया) Humi पाणी टारना छ (सणप्पया) नभपाणा प्राणी (अगेगविहा पण्णत्ता) भने ४२न। यहां छ (तं जहा) तेस। २॥ ५२ छ (सीहा) सिड (वग्धा) पाच (दीविया) ही५॥ (रिच्छा) रीछ (तरच्छा) त२६ (परस्सरा) पा२२२२ (सियाला) सीया (विडाला) मीसाठी (सुणगा) तरा (कोलसुणगा) असत। (कोकंतिया) ४तीय aissी (ससगा)सससा (चित्तगा) यित्ता (चिल्लगा) सि४ (जे यावन्ने तहप्पगारा) गीत २ मावा प्रश्न छे (से तं सण्णप्पया) २मा सनम पानी प्र३५॥ २४
(ते समासओ दुविहा पण्णत्ता) तेया सोपथी में प्रारना ४ा छ (तंजहा) तया 20 आर (समुच्छिमाय गम्भवस्कंतियाय) स भूछि मने पल (तत्थणं जे ते संमुच्छिमा) तमामा ने सभूछिम छ (ते सव्वे नपुंसगा) तेस। બધા નપસક છે