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प्रशापनासूत्रे मूलम्-अप्फेया अइमुत्तंगणागलया कण्हतूंरवल्ली य । संघट सुमणली कि य, जासुवण कुर्विदेवल्ली य ॥१९॥ अँदिय अवावल्ली, किण्हछिरौली जयंति मोबॉली। पाणी मासीवल्ली, गुंजीवल्ली यवच्छाणी ॥२० सालवी दुगोतफुलिया गिरिकपणइ माटुया य अंजगई। दाहिनोल्ले कागलि मोगली य तह अकबोंदीया ॥२१॥ जे यावन्ना तहप्पगारा । से तं बल्लीओ।५।
छाया-अथ कारता वल्ल्यः वल्ल्या अनेकविधाः प्रनताः, तद्यथा-पूसफली? कालिङ्गी२ तुम्बी ३ वपुपी ४ च एला ५ बलुकी ६ । घोपातकी ७ पण्डोला८ पञ्चङ्गुली९ आयनीली१० च ॥१७॥ काइना ११ कण्डकिका १२ कर्कोटकी१३ कारवेल्लकी १४ सुभगा १५ । कुयाया१६ वागली१७ पापवल्ली१८ तथा ___ शब्दार्थ-(से किं तं बल्लीओ ? ) बल्लियां कितने प्रकार की हैं ? (अणेगविहाओ) अनेक प्रकार की (पण्णताओ) कही हैं (नं जहा) वे इस प्रकार हैं-(पृसफली) पूसफली, (कालिंगी) कालिगी, (तुंबी) तुम्बी, (तउसी) पुपी, (एल) एला, (वालुंकी) वालंकी, (घोसाडइ) घोषातकी, (पंडोला) पण्डोला, (पंचुंगुलि) पंचांगुली, (आयणीली) आयनीली, ये वल्ली जातकी वनस्पतियां देश-विशेष में प्रलिद्ध हैं। इन्हें स्वयं समझलेना चाहिए।
इसी प्रकार (कंगूया) कंगूका, (कंडझ्या) कण्डकिका, (कक्कोडई) कर्कटिकी, (कारियल्लई) कारवेल्लकी, (सुभगा) सुलगा, (कुयवाय) कुयवाया, (बागली) वागली, (पाचवल्ली) पापवल्ली, (तह) तथा, (देवदाली य) और देवदाली, देशविशेष में प्रसिद्ध इन लताओं को स्वयं ही समझ लेना चाहिए।
शहाथ-(से किं तं वल्लीओ ?) पहिलसोटसा ४२नी छ ? (अणेग विहा) भने ४२नी (पण्णत्ताओ) ४४ छ (तं जहा) तेसा ॥ प्रारे छ (पूसफली) धु०५५सी (कालिंगी) सिजी (नुवी) तुमी (तउसी) धुपी (एल) मेसा (वालुंकी) पाली (घोसाडइ) घातही (पंडोल) ५ दर (पंचंगुलि) ५यागुदी (आयणीली) मायनीसी 20 पक्षी वनस्पतिया हे विशेषमा प्रसिद्ध છે. તેને જાતે સમજી લેવા જોઈએ.
(कंगूया) ४ (कंडुइया) 381 (कक्डोडइ) ४४ी (कारियल्लई) ४२वेदसी-४२सी (सुभगा) सुभा (कुयवाय) यवाया (वागली) पाली (पाववल्ली) पा५ पदी (तह) तथा (देव दालीय) भने देवी देश विशेषमा પ્રસિદ્ધ લતાઓને જાતે સમજી લેવી જોઈએ.