________________
२६२
प्रक्षापनासूत्रे कारः ८ कुञ्जकः ९ तथा सिन्दुवारश्च १०॥१३॥ जाती ११ मोग्गरः १२ तथा यथिका १३ च तथा मल्लिका१४ च वासन्ती १५ । वस्तुलः १६ कस्तुल:१७ शैवालः १८ ग्रन्थिः १९ मगदन्तिका २० चैत्र । ॥१४॥ चम्पक: २१ जीई २२ नीतिका २३ कुन्दः २४ तथा महाजातिः २५ । एवमनेकाकारा भवन्ति गुल्मा ज्ञातव्याः ॥१५॥ ते एते गुल्माः ।
टीका-अथ गुल्मभेदान् प्ररूपयितुमाह-'से किं तं गुम्मा?' अथ के ते-कनिविधा इत्यर्थः, गुल्मा: गुल्मपदवाच्याः-परस्परा सरवद्धा वयवाः प्रजप्ताः? भगवानाह'गुम्मा अणेगविहा पण्णत्ता' गुल्माः अनेकविधाः-नानाप्रकारकाः प्रज्ञप्ताः, तानेव वन्धुजीवक, (मणोज्जे) मनोद्य, (पियई) पितिक, (पाण) पान, (कणयर) कर्णिकार, (कुज्जय) कुंजक, (सिन्दुवार) सिंदुवार,
(जाई) जाती (मोग्गर) मोगरा (जूहिका) यूधिका (तह) तथा (मल्लिया) मल्लिका, (य) और (वासंती) वासन्ती, (वत्थुल) वस्तुल, (कत्थल) कस्तुल, (सेवाल) शैवाल, (गंठी) ग्रन्थि, (मगदतिया) मृगदन्तिका (चेव) और
(चंपग) चम्पक, (जीइ) जीती, (णीया) नीतिका, (कुंद) कुन्द, (तहा) तथा (महाजाई) महाजाति, (एवं) इस तरह (अणेगागारा) अनेक प्रकार के (हवंति) होते हैं (गुम्मा) गुल्म (मुणेयवा) जानने चाहिए।
(से तं गुम्मा) यह गुल्म की प्ररूपणा हुई ॥२२॥
टीकार्थ-अब गुल्म के भेदों की प्ररूपणा करते हैं । प्रश्न है कि गुल्म कितने प्रकार के होते हैं ? भगवान् ने कहा-गुल्म अनेक प्रकार के कहे हैं। उन्हीं को गाथाओं द्वारा कहते हैं, वे इस प्रकार हैं-'सेगयए' (मणोजे) भना। (पिइय) पिती (पाणं) पान (कणयर) २ (कुजय) '(सिन्दवार) सिन्दुपा२ (जाई) तात- (मोग्गर) भाग। (जूहिका) यूथि:। (तह) तथा (मल्लिया) मा (य) मन (वासंती) पासती (वत्थुल) वस्तुस (कत्थल) ४स्तुर (सेवाल) सेवाण (गठी) ग्रन्थी (मगदंतिया) भृगहति। (चेव) मन (चंपग) य५४ (जीइ) ती (णीइया) नीती। (कुन्द) छन्द (तहा) तथा समाजाई) महातति (एवं) 24. रात (अणेगागारा) भने ५२ना (हवंति) हाय छ (गुम्मा) शुभ (मुगेयव्या) atyan नये.
(से तं गुम्मा) २मा गुस्मनी प्र३५।। २४ , ટીકાર્થ –હવે ગુમના ભેદાની પ્રરૂપણ કરે છે. પ્રશ્ન એ છે કે ગુલ્મ કેટલા પ્રકારના હોય છે ?
શ્રી ભગવાને કહ્યું–ગુલ્મ અનેક પ્રકારના કહ્યા છે. તેઓને ગાથાઓ દ્વારા