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प्रमेयवाचिनी टीका प्र. पद १ सू१७ वायुकायिकजीवभेदनिरूपणम्
विदिग्वातः ८, वातोद्भ्रामः ९, वातोत्कलिका १०, वातमण्डलिका ११, उत्कलिकावातः१२, सण्डलिकावात : १३, गुञ्जावात:१४, झंझावात : १५, संवर्त्तक्रवातः १६, घनवातः १७, तनुवातः १८, शुद्धवातः १९, ये चान्ये तथाप्रकारास्ते समासतो द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - पर्याप्तकाथ, अपर्याप्तकाश्च । तत्र खल ये ते अपर्याप्तकास्ते खलु असंप्राप्ताः, तत्र खलु ये ते पर्याप्तका एतेषां खलु वर्णादेशेन, गन्धादेशेन, रसादेशेन, स्पर्शादेशेन सहस्रग्रशो विधानानि, संख्येयानि, योनिनीची जाती हुई हवा (तिरियवाए) तिर्धी वायु (चिदिसीवाए) विदिशा में चलने वाली हवा (वाउन्सामे) अनियत वायु (वाउक्कलिया) वातोत्कलिका वायु (वाय मंडलिया) वातोली (उकलियावाए) उत्कलिका वायु (मंडलियावाए) मंडलिका वायु (गुंजावाएं) गुजावात गुंजती हुई वायु (झंझावाए) वर्षा के साथ वहने वाली वायु (संवट्टगवाए) प्रलयकालीन वायु (घणवा ) घनवात (तणुवाए) तनुवात (सुद्धवाएं) शुद्ध वायु (जे यावन्ने तपगारा) अन्य जो इसी प्रकार के वायुकायिक हैं (ते) वह (समासओ) संक्षेप से (दुविहा) दो प्रकार के (पण्णत्ता) कहे हैं (तं जहा
इस प्रकार हैं (पज्जत्तगा य) पर्याप्तक और ( अपज्जत्तगाय) अपर्याप्तक (तत्थ) इनमें (जे ते) जो (अपज्जतगा) अपर्याप्त हैं (ते f) वे (असंपत्ता) अप्राप्त हैं (तत्थ गं) उनमें (जे ते) जो (पज्जतगा) पर्याप्त हैं (एएस) इनके ( वण्णादे से गं) वर्ण को अपेक्षा से (गंधादेसेणं) गंध की अपेक्षा से (रसादेसेणं) रस की अपेक्षा से (फासादेसेणं) स्पर्श की अपेक्षा से (सहस्सग्गसो) हजारों (विहाणाई) भेद हैं (संखेज्जाई जोणिविद्विशामोभा यासती हवा (वाउभामे) अनियत वायु ( वाउ कालिया) वातसिा (वाउ मंडलिया) वातोसी (उम्कलियावाए) उत्उसिङ वायु (मंडलियावाए) भडसि वायु (गुंजावाएं) गूलवात - शान्ता थडा पवन ( झ झावाए) वर्षानी साथै वाचावाजा वायु (संघट्टगनाए ) अक्षय अणनो पवन (घनवाए ) धनवात (तगुवाए ) तनुपात (सुद्धव (ए) शुद्ध वायु.
(जे यावन्ने तह पगारा) जीन्न ? भावा प्रहारना वायुायि (ते) ते (समासओ) अक्षेपथी (दुविहा) में प्रहारना (पण्णत्त () ह्या छे (तं जहा) तेथे आ ई छे (पज्जत्तगाय) पर्याप्त गने (अपजत्तगाय) अपर्याप्त छे (तेण ) तेथे (असंपत्ता) अस प्राप्त है (तत्यगं ) तेयामां (जे ते) भेगो (पज्जत्तगा) पर्याप्त छे. (एएसिण) भेगाना ( वण्णा देसेण) वर्षानी अपेक्षाये (गंध देसेण) गंधनी अपेक्षा (रस देसेण) रसनी अपेक्षा (फाम देसेण) स्पर्शनी अपेक्षाओ (सहस्सग्गमो) उन्नरे। (हिणाई) से थे (खेज्जाई जोगियान मुदसय सहस्साई )