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प्रोपनासूत्र टीका-अथ प्रत्येकशीररवादरवनस्पतिकायिकप्रकारान् प्ररूपयितुमाह-'से कि तं पत्तेय सरीर वायरवणस्सइकाइया ?' 'से' अथ 'कि तं' के ते कतिविधाइत्यर्थः, प्रत्येकशरीरवादरवनस्पतिकायिकाः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह-'पत्तेय सरीर वायरवणस्सइकाइया दुवालसविहा पण्णत्ता' प्रत्येक्रशरीरवादरवनस्पतिकायिका द्वादश विधाः प्रज्ञप्ताः 'तं जहा' तद्यथा-'रुक्खा१ गुच्छा२ गुम्मा३ लताय४वल्ली य५ पयगा चेव६। तणवलय हरिय ओसहि जलरुह कुहणा य१२ वोद्धव्वा ॥१॥
'तं जहा'-तद्यथा-'रुक्खा'-वृक्षाः-आम्रादयः१, 'गुच्छा'-गुच्छाः-वृन्ताकी प्रभृतयः२, "गुम्मा-गुल्मानि-नवमालिका प्रभृतीनि३, 'लताय लताश्च-चम्पक लतादयः४ वल्लीय' वल्यश्च-कूप्माण्डीत्रपुपी प्रभृतयः५, 'पव्वगा चेव' पर्वगाश्चैव इक्ष्वादयः६ 'तणवलयहरिय ओसहि जलरुह कुहणाय वोद्धव्या-तृण वलय बादरवनस्पतिकायिक जीव कितने प्रकार के हैं (दुवालसविहा) बारह प्रकार के (पण्णत्ता) कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं-(१) रुक्खा (वृक्ष) (२) गुच्छा (गुच्छ) (३) गुम्मा (गुल्म) (४) लया (य) और (लता) (५) घल्ली (य) और वल्ली (६) (पश्चगा) पर्वग (चेव) और (७) तण (तृण) (८) वलय (वलय) (९) (हरित) हरित (१०) (ओसहि) औषधि (११) जलरुह (जलरुह) (१२) कुहगा (य) और (कुहण) योद्धव्वा (जानने चाहिए) ॥१९॥
टीकार्थ-अब प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिकों की प्ररूपणा की जाती है-प्रश्न किया गया कि प्रत्येक शरीर बादर वनस्पतिकायिक जीव कितने प्रकार के हैं ? भगवान ने उत्तर दिया प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक वारह प्रकार के हैं। वे बारह प्रकार ये हैं-(१) आम्र आदि वृक्ष (२) गुच्छ-बैंगन आदि के पौधे (३) गुल्म-नवमालिका वगैरह (४) लता-चम्पकलता आदि (५) वल्ली-कूष्माण्डी पुषी आदि की सता भने (५) (वल्लिय) मने पी (6) (पब्बगा पर्वग) चेत्र भने (तण) तृ (८) (वलय) १सय () (हरित) उरित (१०) (ओसहि) मौषधि (११) (जलरुह) ११३७ (१२) कुहणा य) वनस्पति विशेष (बोद्धव्या) युवा नये. ॥सू. १६॥
ટીકાર્થ– હવે પ્રત્યેક શરીર બાર વનસ્પતિ કાયિકેની પ્રરૂપણ કરાય છે
શ્રી ગૌતસ્વામીથી પ્રશ્ન કરા કે પ્રત્યેક શરીર બાદર વનસ્પતિ કાયિક જીવ કેટલા પ્રકારના છે? - શ્રી ભગવાને ઉત્તર અખે- પ્રત્યેક શરીર બાદર વનસ્પતિ કાયિક બાર પ્રકારના છે. તે બાર પ્રકાર આ પ્રમાણે છે.
(૧) આમ આદિ વૃક્ષ (૨) ગુચ્છ રીંગણ વિગેરેના છેડ (૩) ગુલ્મ (नमालि। विगे) (४) सत-५४३८ विशे२ (५) पक्षी-भारी माहिती