Book Title: Bhadrabahu Sanhita Part 2
Author(s): Bhadrabahuswami, Kunthusagar Maharaj
Publisher: Digambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
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शुक्र के हीन-चार का फल कृत्तिकादि, नक्षत्र, दक्षिणादि दिशाओं में शुक्र के गमन का फल मघा और विशाखा में मध्यम गति से शुक्र के चलने का फल पुनर्वसु, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढ़ा और रोहिणी में शुक्र की मध्यम गति का फल वर्षा सूचक शुक्र का गमन प्रात:काल में पूर्व में शुक्र और पीछे की ओर बृहस्पति के रहने का फल विभिन्न आकार के शुक्र का कृत्तिकादि नक्षत्रों में गमन करने का फल शुक्र के बायीं ओर से गमन करने का फल शुक्र के दक्षिण ओर से गमन करने का फल शुक्र के घात का फल शुक्र के आरोहण का फल नक्षत्रों के भेदन करने का शुक्र का फल उत्तराफाल्गुनी आदि नक्षत्रों में शुक्र के बायीं और दायीं ओर सेआरूढ़ होने का फल विभिन्न नक्षत्रों में विभिन्न प्रकार से शुक्र के गमन करने का फल शुक्र के अस्तदिनों की संख्या शुक्र के मार्गों का फलादेश गज, ऐरावण, जरद्गव, अजवीथि और वैश्वानर वीथि का फल शुक्र के विभिन्न वर्गों का फल एक नक्षत्र पर शुक्र के विचार करने की दिन संख्या शुक्र के प्रवास और चक्र होने का कथन पूर्व दिशा में एक नक्षत्र पर कुछ दिनों तक शुक के रहने का फल अस्तकाल में शुक्र की स्थिति का कथन दीप्तवक्र का कथन तीनों बक्रों का कथन वायव्यवक्र का स्वरूप और फल शुक्र के अतिचारों का कथन शुक्र के अतिचारों का फल
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