Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १८६ तद्धितनामनिरूपणम् तथा-श्लोकार्थे यशोरूपेऽर्थे तद्वितमत्यये सति यद्पं निष्पद्यते तत् श्लोकनाम । श्रमणो ब्राह्मणः सर्वातिथी। श्रमणब्राह्मणौ प्रशस्तत्वेन सर्वेषां वर्णानामतिथी विज्ञेयौ । तत्र श्रम्यते इति श्रमणं-तपश्चर्यादिरूपं, प्रशस्तं श्रमणमस्यास्तीति श्रमणः। प्रशस्तं ब्रह्मास्यास्तीति ब्रह्मणः स एव ब्राह्मणः। उभयत्रापि प्रशंसार्थे मतुबर्थोऽचू प्रत्ययोऽर्शादित्वाद् वध्यः । संयोगार्थे संबन्धार्थे तद्धितमत्यये सति यन्नाम निष्पद्यते तत् संयोगनाम। यथा-राज्ञोऽयं श्वशुरो-राजकीयः श्वशुरः। राज्ञोऽयं जामाता-राजकीयो जामाता, इत्यादि । 'राज्ञःकच' (पा. ४२।१४०) हे भदन्त ! श्लोक नाम क्या है ? अर्थात् श्लोक-यश-रूप अर्थ में तद्धित प्रत्यय होने पर जो नाम निष्पन्न होता है-अर्थात् जो रूप धनता हैवह कैसा होता है ?
उत्तर-(समणे माहणे सव्वातिही) श्रमण, ब्राह्मण, ऐसा रूप होता है- यहां पर प्रशस्तार्थ में मत्वर्थीय "अच्" प्रत्यय" अर्श आदिभ्योऽच्" से हुआ है। इसीलिये ये सर्ववर्गों के अतिथि माने जाते हैं । तपश्चर्यादिरूप श्रम जिसके पास है वह "श्रमण" एवं प्रशस्त ब्रह्म जिसका है वह "ब्रह्मण" है। यह ब्राह्मण ही ब्रह्मण है । ( से तं सिलोय नामे ) इस प्रकार यह श्लोक नाम है। (से कि तं संजोग नामे) हे भदन्त ! संयोग नाम क्या है ? अर्थात् संबन्धार्थ में तद्धित प्रत्यय होने पर जो नाम निष्पन्न होता है वह कैसा होता है ? ___ उत्तर-(संजोग नामे) वह संयोग नाम इस प्रकार का होता है(रण्णो ससुरए, रणो जामाउए, रणो साले, रणो भाउए, रणो भगिणीवई-(से तं संजोगनामे ) राज्ञः अयं-राजकीयः श्वशुर:-राजा શ્લેક નામ શું છે એટલે કે શ્લેક-યશ-રૂપ અર્થમાં તદ્ધિત પ્રત્યય લેવાથી જે નામ નિષ્પન્ન થાય છે એટલે કે જે રૂપ બને છે, તે કેવું હોય છે?
उत्तर-(समणे माहणे सव्वातिही) श्रम प्राय मेवु ३५ थाय छे. मही प्रशस्ताभा मत्वर्थीय 'अच्' प्रत्यय 'अर्श आदिभ्योऽचू' सूत्रथी ये છે એથી જ એ સર્વ વર્ગોના અતિથિ માનવામાં આવે છે. તપશ્ચર્યાદિ રૂપ શ્રમ જેની પાસે છે તે “શ્રમણ” તેમજ પ્રશસ્ત બ્રહ્મ જેમને છે તે બ્રહ્માણ छ. या प्रसाए । प्राय छ. (से कि त सिलोयनामे) मा प्रमाणे ॥ as नाम छे. (से कि त संजोगनामे) मत ! सा नाम से શું ? એટલે કે સંબંધાર્થ માં તદ્ધિત પ્રત્યય હોવાથી જે નામ નિષ્પન્ન થાય છેતે કેવું હોય છે?
उत्तर-(संजोग नामे) सयो नाम मा प्रमाणे छ. (रणो ससुरए, रणो जामाउए, रणो साले, रण्णो भाउए, रण्णो भगिणीवई-से त संजोगनामे)
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