________________
सृष्टिखण्ड]
. आदित्य-शयन आदि व्रत, तडागकी प्रतिष्ठा और वृक्षारोपणकी विधि.
पुलस्त्यजी बोले-राजन् ! बगीचेमें वृक्षोंके अक्षय फलका भागी होता है। राजेन्द्र ! जो इस प्रकार लगानेकी विधि मैं तुम्हें बतलाता हूँ। तालाबकी वृक्षकी प्रतिष्ठा करता है, वह जबतक तीस हजार इन्द्र प्रतिष्ठाके विषयमें जो विधान बतलाया गया है, उसीके समाप्त हो जाते हैं, तबतक वर्गलोकमें निवास करता है। समान सारी विधि पूर्ण करके वृक्षके पौधोको सर्वांषधि- उसके शरीरमें जितने रोम होते हैं, अपने पहले और मिश्रित जलसे सींचे। फिर उनके ऊपर दही और अक्षत पीछेको उतनी ही पीढ़ियोंका वह उद्धार कर देता है तथा छोड़े। उसके बाद उन्हें पुष्प-मालाओंसे अलङ्कत करके उसे पुनरावृत्तिसे रहित परम सिद्धि प्राप्त होती है। जो वसमें लपेट दे। वहाँ गूगलका धूप देना श्रेष्ठ माना गया मनुष्य प्रतिदिन इस प्रसङ्गको सुनता या सुनाता है, वह है। वृक्षोंको पृथक्-पृथक् ताम्रपात्रमें रखकर उन्हें भी देवताओद्वारा सम्मानित और ब्रह्मलोकमें प्रतिष्ठित सप्तधान्यसे आवृत करे तथा उनके ऊपर वस्त्र और होता है। वृक्ष पुत्रहीन पुरुषको पुत्रवान् होनेका फल देते चन्दन चढ़ाये। फिर प्रत्येक वृक्षके पास कलश स्थापन है। इतना ही नहीं, वे अधिदेवतारूपसे तीर्थोंमें जाकर करके उन कलशोकी पूजा करे । और रातमें द्विजातियों- वृक्ष लगानेवालोंको पिण्ड भी देते हैं। अतः भीष्म ! तुम द्वारा इन्द्रादि लोकपालों तथा वनस्पतिका विधिवत् यत्नपूर्वक पीपलके वृक्ष लगाओ। वह अकेला ही तुम्हें अधिवास कराये। तदनन्तर दूध देनेवाली एक गौको एक हजार पुत्रोंका फल देगा। पीपलका पेड़ लगानेसे लाकर उसे श्वेत वस्त्र ओढ़ाये। उसके मस्तकपर सोनेकी मनुष्य धनी होता है। अशोक शोकका नाश करनेवाला कलगी लगाये, सींगोंको सोनेसे मैढ़ा दे। उसको दुहनेके है। पाकड़ यज्ञका फल देनेवाला बताया गया है। लिये काँसेकी दोहनी प्रस्तुत करे। इस प्रकार अत्यन्त नीमका वृक्ष आयु प्रदान करनेवाला माना गया है। शोभासम्पन्न उस गौको उत्तराभिमुख खड़ी करके वृक्षोंके जामुन कन्या देनेवाला कहा गया है। अनारका वृक्ष पत्नी बीचसे छोड़े। तत्पश्चात् श्रेष्ठ ब्राह्मण बाजों और प्रदान करता है। पीपल रोगका नाशक और पलाश मङ्गलगीतोंकी ध्वनिके साथ अभिषेकके मन्त्र-तीनों ब्रह्मतेज प्रदान करनेवाला है। जो मनुष्य बहेड़ेका वृक्ष वेदोंकी वरुणसम्बन्धिनी ऋचाएँ पढ़ते हुए उक्त कलशोंके लगाता है, वह प्रेत होता है। अङ्कोल लगानेसे वंशकी जलसे यजमानका अभिषेक करें। अभिषेकके पश्चात् वृद्धि होती है। खैरका वृक्ष लगानेसे आरोग्यकी प्राप्ति नहाकर यज्ञकर्ता पुरुष श्वेत वस्त्र धारण करे और अपनी होती है। नीम लगानेवालोंपर भगवान् सूर्य प्रसन्न होते सामर्थ्यके अनुसार गौ, सोनेकी जंजीर, कड़े, अंगूठी, है। बेलके वृक्षमें भगवान् शङ्करका और गुलाबके पेड़में पवित्री, वस्त्र, शय्या, शय्योपयोगी सामान तथा देवी पार्वतीका निवास है। अशोक वृक्ष अप्सराएँ और चरणपादुका देकर एकाग्र चित्तवाले सम्पूर्ण ऋत्विजोंका कुन्द (मोगरे) के पेड़में श्रेष्ठ गन्धर्व निवास करते हैं। पूजन करे। इसके बाद चार दिनोंतक दूधसे अभिषेक बेतका वृक्ष लुटेरोंको भय प्रदान करनेवाला है। चन्दन तथा घी, जौ और काले तिलोंसे होम करे । होममें पलाश और कटहलके वृक्ष क्रमशः पुण्य और लक्ष्मी देनेवाले (ढाक) की लकड़ी उत्तम मानी गयी है। वृक्षारोपणके है। चम्पाका वृक्ष सौभाग्य प्रदान करता है। ताड़का वृक्ष पश्चात् चौथे दिन विशेष उत्सव करे। उसमें अपनी सन्तानका नाश करनेवाला है। मौलसिरीसे कुलकी वृद्धि शक्तिके अनुसार पुनः दक्षिणा दे। जो-जो वस्तु अपनेको होती है। नारियल लगानेवाला अनेक स्त्रियोंका पति अधिक प्रिय हो, ईर्ष्या छोड़कर उसका दान करे। होता है। दाखका पेड़ सर्वाङ्गसुन्दरी स्त्री प्रदान करनेवाला आचार्यको दूनी दक्षिणा दे तथा प्रणाम करके यज्ञकी है। केवड़ा शत्रुका नाश करनेवाला है। इसी प्रकार समाप्ति करे।
अन्यान्य वृक्ष भी जिनका यहाँ नाम नहीं लिया गया है, - जो विद्वान् उपर्युक्त विधिसे वृक्षारोपणका उत्सव यथायोग्य फल प्रदान करते हैं। जो लोग वृक्ष लगाते हैं, करता है, उसकी सारी कामनाएँ पूर्ण होती हैं तथा वह उन्हें [परलोकमें] प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।