________________ (41) कठिनता से और कौनसा उससे भी विशेष कठिनतासे प्राप्त होता है / कहा है कि मृतेषु जङ्गमत्वं तस्मिन् पञ्चेन्द्रियत्वमुत्कृष्टम् / तस्मादपि मानुष्यं मानुष्येऽप्यार्यदेशश्च // 1 // देशे कुलं प्रधान कुले प्रधाने च जातिरुस्कृष्टा / जातौ रूप-समृद्धी रूपे च बलं विशिष्टतमम् // 2 // भवति बले चायुष्कं प्रकृष्टमायुष्कतोऽपि विज्ञानम् / विज्ञाने सम्यक्त्वं सम्यक्त्वे शीलसंप्राप्तिः // 3 // एतत्पूर्वश्चायं समासतो मोक्षसाधनोपायः / तत्र च बहु संप्राप्तं भवद्भिरल्पं च संप्राप्यम् // 4 // तत्कुरुतोद्यममधुना मदुक्तमार्गे समाधिमाधाय / त्यक्त्वा संगमनार्य कार्य सद्भिः सदा श्रेयः // 5 // मावार्थ-एकेन्द्रिय स्थावर से त्रस होना दुर्लभ है / त्रस जीवोंमें पंचेन्द्रिय होना उत्कृष्ट है / पंचेन्द्रिय में भी मनुष्य भव पाना कठिन है। मनुष्य भव में भी आर्यदेश, आर्यदेश में भी प्रधानकुल, प्रधानकुल में भी उत्कृष्ट जाति, उत्कृष्ट जाति में भी रूप और समृद्धि, रूप और समृद्धि में भी विशिष्टतमउत्कृष्ट प्रकार का-चल, उत्कृष्ट प्रकार के बल में भी दीर्घ आयुष्य, और दीर्घ आयुष्य में भी विज्ञान की प्राप्ति बहुत 'पुण्य के उदय से होती है / इसी प्रकार विज्ञान प्राप्त होने पर