________________ (71) श्रुत का मद करने से स्थूलिभद्र के समान महा मुनि भी सम्पूर्ण श्रुत के अर्थ से वंचित हो गये / इस लिए जो अपना कल्याण चाहते हैं उन के लिए उचित है कि, वे इन मदों से सदा दूर रहें। मान का जय करने का उपाय / जाति मद दूर करने का उपायजातिभेदान्नैकविधानुत्तमाधममध्यमान् / दृष्ट्वा को नाम कुर्वीत जातु जातिमदं सुधीः // उत्तमां जातिमाप्नोति हीनमाप्नोति कर्मतः / तत्राशाश्वतिकी जाति को नामासाद्य माद्यतु ? // भावार्थ- उत्तम, मध्यम और अधम ऐसे अनेक प्रकार के जाति मेदों को देख कर, कौन सद्बुद्धि मनुष्य होगा जो जाति का मद करेगा ? कोई भी नहीं करेगा। जीव कर्म ही से उत्तम जाति पाते हैं और नीच जाति भी उन्हें कर्म ही से मिलती है। ऐसी-कर्म से मिलनेवाली-अनित्य जाति को पा कर कौन मनुष्य इन का मद करेगा ! कोई भी नहीं करेगा। अब लाभ मद कैसे जीता जाता है सो बताया जायगा। अन्तरायक्षयादेव लाभो मवति नान्यथा / ततश्च वस्तुतत्त्वज्ञो नो लाभमदमुद्वहेत् / /