________________ ( 205 ) gaaooooooooooda है धर्म में दृढ़ता। ඊgggggggggggggg3 इस प्रकार के अनेक अनुकूल उपमों के होने पर भी दृढ़ धर्मी और शूरवीर मनुष्य ऐसे उपरोसे चलायमान नहीं / होते हैं। जो कायर मनुष्य ऐसे उपसर्गोसे डर, वापिस अपने घर की तरफ दौड़ते हैं, उन्हें दोनों तरफसे अपमानित होना पड़ता है; और दुर्गति का भागी बनना पड़ता है। यह अधिकार सूत्रकृतांग के अंदर आया है। श्री ऋषभदेव के 98 पुत्रों को निस समय वैराग्य हुआ था, उसी समय उन्होंने दीक्षा ले लीथी। वे किसीसे आज्ञा लेने नहीं गये थे / भक्त के और जगत् के अनादिकाल का वैर है। जगत भक्त के कार्य में विघ्न डालता है। सारे आस्तिक शास्त्रकार वैरागी पुरुष को, इस प्रश्न का-कि विद्वान को सबसे पहिले क्या करना चाहिए, उत्तर देते हैं कि-' संसार संतति का छेद करना चाहिए, इस में विलंब नहीं करना चाहिए' कहा त्वरितं किं कर्तव्यं विदुषा, संसारसन्ततिच्छेदः / ( विद्वान् को जल्दीसे क्या करना चाहिए ? संसार सन्तति का विच्छेद।)