________________ ( 296 ) चारी ब्राह्मण कहाँ है ! " रानाके वचन सुनकर ब्राह्मण घबराया और हाथ जोड़ कर राणी से कहने लगा कि-" हे माता! मुझे मृत्यु के कष्ट से बचाओ / राजा अंदर आते ही मेरे प्राण ले लेगा।" रानीने कहा:-" मैं क्या करूँ ? पवन के जोर से दर्वाजे बंद हो गये होंगे। इतने ही राजाजी आगये / राजा को पूरी तरह से शंका हो गई होगी। इसलिए तुम्हें बचाने का कोई उपाय नहीं है / तो भी एक बात है / मेरी पास एक छोटी सी पेटी है / उस में यदि आप घुस जायँ तो मैं कुछ उपाय करूँ।" संसार में प्राणों से प्यारी और कोई चीज नहीं होती। ब्राह्मण पेटी में घुस गया। दासियोंने उसके हाथ पैर मरोड बड़ी क ढिनता से पेटी को बंद कर दी। फिर पेटी का ताला लगा कुंजी रानी को देदी / रानीने कुंनीयों के झूमखे को एक ओर रखकर दासियों को दर्वाजा खोलने के लिए कहा / दर्वाजा खोला गया / राना क्रोधांध होकर बोला:-" वह ब्राह्मण यहा आया था?" रानीने उत्तर दिया:-" हा, " राजाने पूछा:-" वह कहा है ? " रानीने उत्तर दिया:-" इस पेटी में !" राजाने पूछा:- " ताली कहा है ?" रानीने तालियों का झूमखा राजा के सामने फेंक दिया / उसमें सौ तालियाँ थीं। झूमखा लेकर पैर पछाड़ता हुआ राजा पेटी के पास गया / बिचारे ब्राह्मण को डरके मारे अंदर ही पेशाब हो आया / रानी बोली:-" आपके समान कानों के कच्चे मनुष्य दुनिया में बहुत ही कम होंगे।