________________ (405) दस दृष्टान्त। अकाम निरा के योग से नदी-पाषाण ' न्याय से जीव को शायद मनुष्य जन्म मिले तो मिल भी जाय, मगर शास्त्रकार दस दृष्टान्त से मनुष्य जन्म की खास दुर्लभता बताते हैं / जैसे श्री उत्तराध्ययन की टीका में लिखा है: चुल्लग पासग धन्ने जुए रयणे अ सुमिणचक्के अ / चम्म जुगे परमाणू दस दिलुता मणुअलंभे // भावार्थ-चूल्हे का; पाशा का; धान्य का; जूए का; रत्न का; स्वप्न का; चक्र का; कूर्म का, धोंसर का और परमाणु काऐसे दस दृष्टान्तो द्वारा मनुष्य का जन्म दुर्लभ समझना चाहिए। प्रथम चूल्हे के दृष्टान्त का स्पष्टीकरण किया जायगा / ___" एक चक्रवर्ती राजा किसी ब्राह्मण के ऊपर खुश होकर बोला:-'हे ब्राह्मण, तेरी इच्छा हो सो माँग / मैं तुझ को देने के लिए तैयार हूँ।' ब्राह्मण अपनी स्त्रीके वश में था, इसलिए उसने उत्तर दिया:- मैं घर सलाह लेकर माँगूंगा।" राजाने स्वीकारता दी। ब्राह्मण अपने घर गया। दोनों स्त्रीपुरुष एकान्त में बैठकर सोचने लगे कि, क्या माँगना चाहिए ? यदि ग्राम जागीरी मांगेगे तो हम को उल्टे व्याधि बढ़ेगी। इसलिए अपन ब्राह्मणों को तो यदि दक्षिणा सहित भोजन की प्राप्ति हो जाय तो बस है। दोनों की यही सलाह पक्की रही।