Book Title: Dharm Deshna
Author(s): Vijaydharmsuri
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 536
________________ (509) व्यवहार यदि आर्य लोगों में भी प्रचलित हो जाय तो बड़ी बड़ी आपतियाँ उठ खड़ी हो / अतः मिन्न बोत्र में ब्याह करने की शास्त्रकारोंने 'आज्ञा दी है / और वह बहुत अच्छी है। मर्यादायुक्त विवाह से शुद्ध स्त्री की प्राप्ति होती है / उसका फल सुजातपुत्र की उत्पत्ति और चित्तनिवृत्ति होती है इससे संसारमें भी प्रशंसा होती है और देव व अतिथिजन की भी भक्ति सुरक्षित रहती है। स्त्री की रक्षा करनेके चार साधन भी पुरुषोंको अवश्यमेव ध्यान रखने चाहिए। 1 सारी गृहव्यवस्था स्त्रीके जिम्मे रखना; २-धन अपने अधिकारमें रखना, स्त्रीको आवश्यकता से विशेष नहीं देना / ३-उसे अनुचित स्वतंत्रता-स्वच्छंदता नहीं देना यानी उसे अपने अधिकारमें रखना और ४-स्वयं अपनी स्त्रीके सिवा अन्य सब स्त्रियोंको अपनी माता और बहिन के समान समझना। पुरुषोंको चाहिए कि वे अपनी स्त्रिकी रक्षाके लिए उक्त चार ब तोंका पूर्णतया ध्यान रक्खे / इसी तरह स्त्रियों को भी चाहिए कि वे अपने शीलव्रत के लिए निम्नलिखित बातोंका खास तरहसे ध्यान रखें / जैसे यात्रा जागरदूरनीरहरणं मातुहेऽवस्थितिः वस्त्रार्थ रजकोपसर्पणमपि स्यादतिकामेलकः / स्थानभ्रंशसखीविवाहगमनं भर्तृप्रवासादयो व्यापारः खलु शीलनीवितहराः, प्रायः सतीनामपि // 1 //

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