________________ (515) नाओ। वह तुमको सत्संगति का फल बतायगा / " नारदनी कृष्णजी के विश्वास पर गवाले के घर गये / नारदजी के साथ बच्चे की चार आँखें हुई / बच्चा तत्काल ही मर गया / नारदनी को इस गोहत्या के कारण बहुत दुःख हुआ। उन्होंने निश्चय किया कि अब कभी कृष्णनी से सत्संगति का फल नहीं पूछूगा। अस्तु / कुछ महीने बाद नारदनी से कृष्णजी मिले / कृष्णनीने पुछा:-"आजकल सत्संगति का फल क्यों नहीं पुछते ?" उन्होंने उत्तर दिया:-" महाराज ! मुझको सत्संगति का फल नहीं देखना / ऐसी हिंसाएँ करके मैं अपने आत्मा को भारी बनाना नहीं चाहता।" कृष्णजीने आश्वासन देकर कहा:-" नारदनी! आज मेरा कहना और मानो। अमुक राजा के घर आनही पुत्र जन्मा है। उसके पास जाओ। वह तुमको सत्संगति का फल बतायगा।" नारदनीने स्पष्ट शब्दों में कहा:-"महाराज ! मुझको क्षमा कीजिए। आजतक जीवों की हिंसा हुई, उसमें तो मुझको कोई पुछनेवाला नहीं था; परन्तु अब यदि राजा का कुँवर मर जाय तो राजा मेरा कचूमर बनवा दे / महाराज ! मैं वहाँ जाकर सत्संग का फल पुछना नहीं चाहता।" कृष्णनीने नारदनी को, धीरन देकर कहा:-"नारदजी ! डरो मत ! निर्भीकता के साथ जाओ / इसवार लड़का तुमको जरूर मत्संग का फल बतायगा / " नारदनी भगवान का नाम लेकर डरते हुए राजा के पास गये और बोले:-मैंने सुना है कि, आज आपके