________________ (540) लिए चोर होने की शंका की जाती है। चौमासे में प्रवास नहीं करना चाहिए, यात्रा नहीं जाना चाहिए। जो इस मर्यादा का उल्लंघन करता है वह दुःखी होता है; हिंसा होनेसे धर्म करते धाड डालनेवाला कार्य हो जाय / / तेईसवाँ गुण / ___जानन् बलाबलं-अर्थात् अपने और दूसरे के बल अचल को जानना, मार्गानुसारी का तेईसवां गुण है। अपने बल को जाने विना, प्रारंभ किया हुआ कार्य निष्फल जाता है। बलाबल का ज्ञान करके जो कार्य करता है, वही सफल होता है / बलवान् यदि व्यायाम करता है, तो उसका शरीर पुष्ट होता है, और निर्बल व्यायाम करता है तो उसका शरीर क्षीण हो जाता है। कारण यह है कि, अपनी शक्ति की अपेक्षा अधिक परिश्रम करना; अवयवों को हानि पहुंचाता है। इस लिए बल के प्रमाणानुसार कार्यारंभ करना चाहिए। ऐसा करनेसे चित्त शान्त रहता है / चित्त की शान्ति धर्म साधन में उपयोगी होती है / चोबीसवाँ गुण। व्रतस्थज्ञानवृद्धानां पूजक:-अर्थात् व्रति मनुष्यों और ज्ञानवृद्ध पुरुषों की सेवा करना, मार्गानुसारी का चौबीसवां गुण है। अनाचार का त्याग और शुद्धाचार का पालन व्रत है, इस में जो रहता है, वह वास्थ कहलाता है। जिससे हेय और