________________ (518) ये उपद्रव जहाँ न हो वहाँ रहना चाहिए / उपद्रव वाले स्थानोंमें रहने से अकाल मृत्यु होती है। धर्म और अर्थ का नाश होता है। इनके नष्ट होने से हृदय में मलिनता आती है और अपना अनिष्ट होता है। अतः उपद्रव वाले स्थान को अवश्यमेव छोड़ देना चाहिए। ग्यारहवाँ गुण / ___अप्रवृत्तश्च गर्हिते / अर्थात् निन्द्य कार्य में प्रवृत्त नहीं होना चाहिए। देश, जाति और कुल की अपेक्षा निंद्य कर्म तीन प्रकार का होता है / जैसे सौ वीर देशमें कृषिकर्म, लाटमें मद्य बनाना / जाति की अपेक्षा से ब्राह्मण का सुरापान और तिल-लवणादि का व्यापार / और कुल की अपेक्षा से चौलुक्य वंशी राजाओं का मद्यान गर्हित है। . ऐसे गर्हित कार्य करनेवालों की धर्मकृति हास्यास्पद होती है। बारहवाँ गुण। व्ययमायोचितं कुर्वन् / अर्थात्-आय के अनुसार खर्च करना, मार्गानुसारी का बारहवाँ गुण है। अधिक अथवा कम खर्च करनेवाला मनुष्य अप्रामाणिक समझा जाता है। लोग अधिक खर्च करनेवाले को फूलफकीर और कम खर्च करनेवाले को लोभी कहते हैं / इसलिए अपने कुटुंब के पोषण में, अपने सुख आराम में, देवता और अतिथि की भक्ति में उचित खर्चा