Book Title: Dharm Deshna
Author(s): Vijaydharmsuri
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 548
________________ (511) मार लाया है। या ठगने के लिए धनाढ्य का साँग कर विदेश जाना चाहता है / द्रव्य होने पर भी जो रद्दी वस्त्र पहिनता है, वह मक्खीचूस कहलाता है। इसलिए द्रव्यानुसार पोशाक पहिनना चाहिए / ऐसा करने से लोगों में सन्मान होता है / सन्मान भी धर्म कार्यों में बहुत सहायक होता है। चौदहवाँ गुण / ___ अष्टभिर्धीगुणैर्युक्तः / अर्थात् बुद्धि के आठ गुणों सहित रहना, मार्गानुसारी का चौदहवाँ गुण है। धर्मश्रवण में बुद्धि के आठ गुणों का होना बहुत ही आवश्यक है / अन्यथा, मात्र धर्म श्रवण से गैरसमझ पैदा हो जाती है / इसके लिए यहाँ हम एक उदाहरण देते हैं: " एक महाराज रामचरित पढ़ते थे। उसमें आया कि, " सीता का हरण हुआ। उनमें एक व्यक्ति-जो बुद्धि के गुण-विहीन था-ने विचारा सीतानी हरण हो गई ?" कथा पूरी हो गई। मगर उसकी शंका का समाधान नहीं हुआ। इसलिए वह महाराज के पास जाकर कहने लगा:" महाराज ! सारी बातें स्पष्ट हो गई, परन्तु एक बात रह गई। " कथा बाचनेवाले महाराज विचार में पड़े। वे सोचने लगे कि कोई श्लोक छूट गया है ? पृष्ठ उल्टा सीधा हो गया है जिससे यह ऐमा कह रहा है ! फिर उन्होंने पूछाः-" भाई !

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