________________ (497 ) प्रथम गुण सबसे प्रथम गुण है न्यायसंपनविभवः, यानी न्याय से उत्पन्न किया हुआ द्रव्य है। जिसके पास न्यायपूर्वक कमाया हुआ धन होता है, उसीके पीछे से सब गुण आ मिलते हैं / जो धन वैभव न्याय से प्राप्त होता है, वही न्यायसंपन्न विभव कहलाता है / मगर न्याय क्या है, सो जाने विना कोई न्यायपूर्वक वाव नहीं कर सकता है। इसलिए यहाँ पहिले न्याय का स्वरूप बताया जाता है। स्वामिद्रोह-मित्रद्रोह-विश्वसितवानचौर्यादिगार्थोपार्जनपरिहारेणार्थोपार्जनोपायभूतः स्वस्ववर्णानुरूपः सदाचारो न्यायः ( स्वामिद्रोह, मित्रद्रोह, विश्वास रखनेवाले पुरुषों को ठगना; चोरी आदि निंदित कार्योद्वारा पैसा पैदा करना; और अपने अपने वर्णानुसार सदाचार का पालन करना न्याय है। ) इस न्याय से जो द्रव्य प्राप्त होता है उसको न्यायसंपन्न द्रव्य कहते हैं / न्यायसंपन्न द्रव्य से दोनों लोक में सुख मिलता है और अन्यायसंपन्न द्रव्य उभयलोक के लिए दुःखदायी है। न्यायसंपन्न द्रव्य को मनुष्य निःशंक होकर खर्च सकता है; उससे अपने सगे संबंधियों का उद्धार कर कीर्ति संपादन कर सकता है और गरीबों और दीनों को दुःख से छुड़ा कर उनके आशी दि प्राप्त कर सकता है। अन्यायसंपन्न द्रव्य को खर्च करने में 32