________________ A (486 ) Oc=== = == ==90 व्रत की श्रेष्ठता। ॐSEDDEDER संसार रूपी समुद्र से तैरने के लिए दीक्षा जहाज के समान है। उसका धारण करना ही संसार से तैाने का सर्वोत्कृष्ट मार्ग प्रहण करना है / जैसे-सूर्य के ताप को शान्त करने का मेघ में सामर्थ्य है; हाथियों को भगाने का सिंह में सामर्थ्य है; अंधकार को नष्ट करने का सूर्य में सामर्थ्य है; भयंकर विषधरों को भगाने का गरुड में सामर्थ्य है और दुःख दावानल को द्विगुण करनेवाली दरिद्रता को नष्ट करने का कल्पवृक्ष में सामर्थ्य है वैसे ही संसार समुद्र से डरे हुए भव्य जीवों को संसार से पार उतारने का व्रत में सामर्थ्य है। कहा है कि:-- आरोग्यं रूपलावण्ये, दीर्घायुष्यं महद्धिता / आजैश्वर्य प्रतापित्वं साम्राज्यं चक्रवर्तिता // 1 // मुरत्वं सामानिकत्वमिन्द्रत्वमहमिन्द्रता / सिद्धत्वं तीर्थनाथत्वं सर्वं व्रतफलं ह्यदः // 2 // एकाहमपि निर्मोहः प्रव्रज्यापरिपालकः / नचन्मोक्षमवाप्नोति तथापि स्वर्गभाग्भवेत् // 3 // भावार्थ- आरोग्य, रूपलावण्प, दीर्घायु, बहुत बड़ी ऋद्धि,