________________ (459) सेठ को अवकाश नहीं है। ब्राह्मण चुपचाप दर्वाजे के सामने चबूतरे पर जा बैठा / सेठ सैर करने के लिए बाहिर निकला / ब्राह्मण खड़ा हुआ। मगर सिपाहियोंने उसको बोलने नहीं दिया। सेठ गाड़ी में बैठकर चला गया। ब्राह्मण हताश होकर वहीं वापिस बैठ गया / सेठ सैर करके वापिस लौटा / ब्राह्मण खडा हुआ / सेठ अपने मुनीम को यह कहकर हवेली में चला गया कि इसको, आटा, दाल सीधा दिला देना / मुनीमने ब्राह्मण को सीधा लेनेके लिए कहा / ब्राह्मणने यही कहा कि मुझ को सेठ से मिलना है, सीधा नहीं चाहिए / मुनीमने जाकर सेठ से कहाः" ब्राह्मण सीधा नहीं लेता। वह आपसे मिलना चाहता है।" सेठने सोचा,-मेरे पास आकर कुछ और विशेष चाहता होगा। मुझ को मिलने का अवकाश भी कहाँ है ?-फिर कहाः-" कहो मिलने की फुरसत नहीं है। दो चार रुपये देकर विदा कर दो।" मुनीमने ब्राह्मण के पास जाकर कहा:-" महाराज सेठ को तो मिलने की बिलकुल फुर्सत नहीं है। आपको जो कुछ चाहिए उसके लिए आज्ञा दीजिए मैं लाएं।" ब्राह्मणने कहा:-"मुझको सेठ के मिलने के सिवा दूसरी कोई चीज नहीं चाहिए।" मुनीम यह कहकर चला गया कि, ब्राह्मणदेवता, भूखे मरते बैठे रहोगे तो भी सेठ से न मिल सकोगे।" ब्राह्मण वहीं बैठा रहा। भूखा प्यासा दो दिन तक बैठा रहा / सेठ को खबर लगी कि ब्राह्मण उससे मिलने की हठ करके दो रोजसे भूखा प्यासा बैठा है। सेठने