________________ ( 365 ) पदेश है / सदुपदेश से मनुष्य को संसार की असारता का भान होता है। और इससे वैराग्य वृत्ति की अभिवृद्धि होती है। यहाँ वैराग्यवृद्धि के कारणों का उल्लेख करना आवश्यक है। वैराग्य वृद्धि के कारण। ........... मानसिक बलादि। अधुवं जीविअं नच्चा, सिद्धिमग्गं विआणिया / विणिअट्टिच्च भोगेसु, आउं परिमिअप्पणो // बलं थामं च पेहाए सद्धामारूगमप्पणो। खित्तं कालं च विन्नाय तहप्पाणं निजुंनए // जरा जाव न पीडेइ वाही जाव न वड्ढइ / जाविदिया न हायन्ति ताव धम्मं समायरे // भावार्थ-हे जीव ! जीवन को अस्थिर, मोक्षमार्ग को ज्ञानादि रत्नत्रय स्वरूप और आयुष्य को परिमित ( सौ वर्ष की हदवाला ) समझ कर भोगों से निवृत्त हो / (1) . __अपने मानसिक और शारीरिक बल को देख कर, श्रद्धा और आरोग्य को जाँच कर और क्षेत्र व काल को जान कर आत्मा को धर्मानुष्ठान में लगा।