________________ ( 391 ) भूताभिभूतमिति भूतविदो वदन्ति प्राचीनकर्मबलवन्मुनयो मनन्ति // वैद्योंने-डाक्टरोंने आकर कहा कि,-इसको पित्त के घर का वायु कुपित हो गया है, इसलिए अमुक दवा दो। ज्योतिषीने कहा कि, इस पर राहु की क्रूर दृष्टि पड़ी है इसलिए ब्राह्मणों को दान दो शान्ति पाठ कराओ आदि / सयानेने कहा कि,-नजर लग गई है, नजर बँधवाओ / मंत्र जंत्र वालोंने कहा कि, इसको डाकन लग गई है, इसलिए उतारे करवाओ। ढूँढी, गोलों को देखने वालोंने कहा कि, इसका गोला डिग गया है / जरा तैल लाओ अभी ठीक होनाता है। इस तरह रात भरमें सैकड़ों इलाज किये गये / मगर सेठ के पुत्र को आराम नहीं हुआ। माता, पिता रोने लगे। नौकर चाकर, घबराये हुऐ, अन्यान्य हकीमों वैद्यों और डॉक्टरों की तलाश में फिरने लगे / कुटुंबी चिन्तित भावसे कहने लगे:-" क्या किया जाय ? देना हो तो चुका दें, भार हो तो लेले; सरकार में केस हो तो उसे हर उपाय से ठीक ठाक करले मगर दर्द का क्या करें ? इस तरह इधर चल रहा था। उस समय सेठपुत्र का मित्र योगी का वेष लेकर सेठ की हवेली के आगे से निकला / योगी को देखकर, नौकरोंने उसके पैरों पड़ और कहा:-" महाराज बड़े कष्ट का समय है / सेठ का बड़ा लड़का बहुत बीमार हो गया है। सारा कुटुंब रो रहा है।