________________ ( 394 ) इस को नहीं पी सकती / " दूसरी ने भी ऐसा ही उत्तर दिया। तब किसीने कहा कि-दोनों साथ ही पी लो / झगड़ा ही मिट नाय / दोनों चुप हो रहीं। किसीने कुछ उत्तर नहीं दिया / पानी का कटोरा सारे कुटुंब में फिर कर वापिस योगी के हाथ में आया / योगी बोला:-" अच्छा भाई ! तुम कोई नहीं पीते हो तो मैं ही इस पानी को पी जाता हूँ।" योगी की बात सुनकर, अहो ! योगी महात्मा कैसे उपकारी हैं ! ऐसे ऐसे महात्माओं के अस्तित्वसे ही लोग दुनिया को रत्न की खानि बताते हैं / महात्मा सचमुच ही सच्चे महात्मा हैं। " योगी प्याला पी गया। सेठ पुत्र जल्दीसे शय्या छोड़ कर उठ बैठा / सारे कुटुंबी जन शय्या को घेर कर खड़े हो गये / कोई भाई, कोई बेटा; कोई लाल आदि शब्दोंसे उसको प्यार के साथ पुकारने लग रहे थे। उस समय सेठ के पुत्रने धीरेसे कहाः-" तुम सब मेरे शत्रु हो / मेरा सगा-स्नेही-तो यह योगी है। इस लिए अब मैं इस के साथ जंगल में जा कर अपना मंगल करूँगा। तुम मुझे मत छूना / ऐसा कह सेठपुत्र अपने मित्र के साथ चला गया / सारा कुटुंब हतप्रभ हो देखता ही रह गया.।": .. इस उदाहरण से यह बात ज्ञात होती है, कि संसार में अपने प्राणोंसे ज्यादा कोई प्यारा नहीं है। प्राण नाश होने