________________ कोई जल का यह कटोरा पियेगा, उड़द के दाने खायगा और यह डोरा अपने हाथ में बाँधेगा; वह लड़के की सी हालत में पड़कर अन्त में मर जायगा / " योगी के ऐसे भयंकर वचन सुन, सब मौन हो रहे / सब चित्रलिखित पुतली की तरह स्थिर हो रहे / बनावटी योगी हास्यपूर्ण नेत्रों से अपने मित्र की ओर देखता हुआ खड़ा था। उसी समय एक मध्यस्थ पुरुषने कहा:-" भाइओ! जवाब दो।" दूसरा बोला:-" प्याला और उड़दके दाने उस की माता को दो।" सबने यही सम्मति दी। माता इससे मन में दुःखित होने लगी। पानी का कटोरा और उड़द के दाने जब उस के पास आये तब उसने कहाः- ठहर जाओ / जरा शोचने दो।" थोड़ी देर सोचने के बाद उसने कहा:-" मृतं सर्व मृते मयि / (मेरे मरने पर मेरे लिए तो सारा जगत मरा हुआ है) यदि मैं जीवित रहूँगी तो दूसरे तीन लड़को का और दो लड़कियों का पालन पोषण करूंगी और उनका सुख देखूगी। इस लिए मैं इस प्याले को नहीं पीऊँगी / " कटोरा पिता के पास पहुंचा। पिताने तत्काल ही उत्तर दिया:-" पिता होगा तो पुत्र बहुत हो जायेंगे।" तब वह कटोरा सेठपुत्र की स्त्रियों के पास पहुंचाया गया। उस के दो स्त्रियां थीं। उनमें से एकने कहा:-- " यदि मैं मर जाऊँगी तो दूसरी सुख भोगेगी। इस लिए मैं