________________ ( 390) जाना / कोई बोलावे तो मत बोलना; औषध खिलावे तो मत खाना / उस समय मैं योगी के वेष में तेरे पास आऊँगा। उस समय मैं प्रत्यक्ष करके दिखा दूँगा कि, तेरे माता पिता का तुझ पर कितना स्नेह है ? बाद में तेरी इच्छा हो सो करना / " मित्र अपने घर गया। सेठ का पुत्र अपने घर के पास पहुंचते ही; बाहिर की तरफ ही गिर गया। सैकड़ों लोग जमा होगये। अन्त में वह म्यानेमें बिठा कर घर पहुंचाया गया। सारे कुटुंबने नमा होकर उसको चारों तरफ से घेर लिया। उसके भाई, बहिन, चाचा, चाची, माता, पिता आदिने उसको बुलाने की बहुत चेष्टा की मगर वह न बोला / कहावत है कि-"सोया जगाने से जागता है मगर जागते को जगाने से वह कैसे जाग सकता है: " इसी तरह सेठ का पुत्र बिलकुल न बोला। उसने आँखें भी न खोलीं / जो कुछ होता था वह कानों से सुनता था। कोई कहता था, डॉक्टर को बुलाओ; कोई कहता था, हकीम को बुलाओ; कोई कहता था सियाने को बुलाओ और कोई कहता था किसी मंत्र जंत्र वाले को बुलाओ। इस तरह सब गड़बड़ करने लगे / तत्पश्चात् हरेक तरेह के उपचारक बुलाये गये। भपने अपने अनुकूल सबने उपचार किया। कहा है कि: वैद्या वदन्ति कफपित्तमरुद्विकारान् ज्योतिर्विदो ग्रहगति परिवर्तयन्ति / .. .