________________ (389) कोई स्वच्छ वायु सेवनार्थ / मगर अभी कोई नहीं आता। इसका कारण यही है कि, इसमें पानी नहीं रहा इससे यह सिद्ध है कि लोगों को तालाब से कोई मतलब नहीं है जल से मतलब है / इसी तरह दुनिया में भी स्वार्थ की सगाई है। शरीर की नहीं। जीव के निकल जाने पर लोगों का शरीर से कुछ स्वार्थ नहीं सधाता है। इसलिए लोग उसको अग्नि में जला देते हैं / " मगर शेठ का पुत्र कुछ नहीं समझा / तीसरे दिन दोनों मित्र वन में जा रहे थे / मार्ग में एक सूखा हुआ बड़ का झाड मिला / उसको देखकर मित्र बोला:-" बन्धु ! दो महीने पहिले इस वट वृक्ष पर पक्षी घोंसले बना बनाकर रहते थे; चाँ चूं करके वृक्ष को गुजा देते थे; मुसाफिर इसके नीचे विश्राम करते थे, और गवाले गउओं को इसके नीचे बिठाकर निश्चल योगी की माँति आराम से ठंडी साया में सोते थे / मगर अभी कोई भी नहीं है। इसका कारण समझे ? इसका कारण यह है कि, पहिले उनको वृक्ष की शीतल छाया मिलती थी और अब नहीं मिलती है। वृक्ष का कोई सगा नहीं है / सब ठंडी छाया के सगे हैं। इसी तरह संसार में लोग भी स्वार्थ के सगे हैं।" सेठ के पुत्र को इतना होने पर भी अपने माता पिता पर अविश्वास न हुआ। तब मित्रने पूछा:-" आज तू घर जाकर मैं कहूँ ऐसा करेगा ?" सेठ के पुत्रने स्वीकारता दी। मित्रने कहा:-" तु जाते ही बेहोशसा होकर घर में पड़